पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने किसानों के समर्थन में लौटाया पद्म विभूषण
क्या है खबर?
कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के समर्थन में उतरते हुए पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल (SAD) के वरिष्ठ नेता प्रकाश सिंह बादल ने अपना पद्म विभूषण सम्मान वापस राष्ट्रपति को लौटा दिया है।
राष्ट्रपति को लिखे पत्र में बादल ने कहा कि वो सरकार के किसानों के साथ किए गए विश्वासघात के विरोध में अपना सम्मान लौटा रहे हैं।
उन्होंने लिखा कि जिस तरह सरकार किसानों से पेश आ रही है, उससे वो दुखी है
पत्र
अपनी बातों से मुकर गई सरकार- बादल
बादल ने अपने पत्र में लिखा कि जब अध्यादेश लाए जा रहे थे तब सरकार ने आश्वासन दिया था कि किसानों की शंकाओं का समाधान किया जाएगा।
उन्होंने आगे लिखा, 'इसके बाद मैंने किसानों से सरकार की बातों पर भरोसा करने की अपील की, लेकिन जब सरकार अपनी बातों से मुकर गई तो मुझे हैरानी हुई। यह मेरे राजनीतिक जीवन का सबसे दर्दनाक पल था। मैं सोचने लगा हूं कि सरकार इतनी निर्दयी कैसे हो गई है।'
पत्र
किसानों को हक के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है- बादल
बादल ने आगे लिखा, 'मैं देश की 70 फीसदी आबादी के बारे में लिख रहा हूं जो किसान हैं। पिछले 70 सालों से इन्हें अन्नदाता कहा जाता रहा है। किसानों ने भारत को ऐसा देश बनाया जो दूसरे देशों से अनाज लेने की बजाय आज अनाज का निर्यात करता है, लेकिन किसान को आज अपने हक के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है।'
उन्होंने लिखा कि किसान आज संकट से घिरा हुआ है।
किसानों का समर्थन
सुखदेव ढिंढसा भी लौटाएंगे सम्मान
बादल ने अपने पत्र में आगे लिखा, 'मैं इतना गरीब हूं कि किसानों के लिए कुर्बान करने के लिए मेरे पास कुछ और नहीं है, मैं जो भी हूं किसानों की वजह से हूं। ऐसे में अगर किसानों को अपमान हो रहा है, तो किसी तरह का सम्मान रखने का कोई फायदा नहीं है।'
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रकाश सिंह बादल के बाद अकाली दल के नेता रहे सुखदेव सिंह ढिंढसा भी अपना पद्म भूषण सम्मान लौटाएंगे।
ट्विटर पोस्ट
यहां देखिये राष्ट्रपति को लिखा बादल का पत्र
अकाली दल के वरिष्ठ नेता और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने किसान कानूनों के विरोध में पद्मविभूषण सम्मान वापस करने का एलान किया
— Amit Kumar (@amit_jurno) December 3, 2020
प्रकाश सिंह बादल ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिख कर जानकारी दी। @news24tvchannel #kisanandolan #MSP #FarmersProtest pic.twitter.com/X8ZCmtHxkk
विरोध
कृषि कानूनों के मुद्दे पर NDA से अलग हो चुकी है SAD
याद दिला दें कि कृषि कानूनों के मुद्दे पर SAD राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से अलग हो चुकी है।
इसकी घोषणा करते हुए प्रकाश सिंह बादल के बेटे और पार्टी प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कृषि कानूनों को किसानों के लिए घातक और विनाशकारी बताया था।
इससे पहले पार्टी नेता और सुखबीर बादल की पत्नी हरसिमरत कौर ने भी कानूनों के विरोध में मोदी सरकार के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
प्रदर्शन
किसान प्रदर्शन का आठवां दिन, बातचीत जारी
कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के प्रदर्शन का आज आठवां दिन है। हरियाणा और पंजाब समेत कई राज्यों के किसान दिल्ली के सिंघु और टिकरी बॉर्डर समेत कई इलाकों में डटे हुए हैं। किसानों की मांग है कि सरकार इन कानूनों का वापस लें।
इस मुद्दे को लेकर आज किसान संगठन के नेताओं और केंद्र सरकार के बीच चौथे दौर की बातचीत चल रही है।
तीन दौर की बातचीत में कोई समाधान नहीं निकल पाया था।
समर्थन
किसानों के समर्थन में उतरे 30 पदक विजेता
किसानों को 30 से अधिक ओलंपिक और महाद्वीपीय मेडल विजेताओं का समर्थन मिला है।
इनमें 1980 मॉस्को ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे गुरमैल सिंह और सुरिंदर सिंह सोढ़ी भी शामिल हैं।
पूर्व बास्केटबॉल खिलाड़ी और अर्जुन पुरस्कार विजेता सज्जन सिंह चीमा पंजाब के अपने साथी अर्जुन और पद्म पुरस्कार विजेता खिलाड़ियों को किसानों के समर्थन में एकजुट कर रहे हैं और उन्हें अपने पुरस्कार वापस लौटाने के लिए भी मना रहे हैं।
विरोध की वजह
क्या है कृषि कानूनों का पूरा मामला?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।