Page Loader
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा अधिनियम को रद्द करने वाले आदेश पर रोक लगाई
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा अधियनिम को रद्द करने के फैसले पर रोक लगा दी है

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा अधिनियम को रद्द करने वाले आदेश पर रोक लगाई

Apr 05, 2024
03:34 pm

क्या है खबर?

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मदरसा अधिनियम को रद्द करने वाले इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करने के लिए उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम, 2004 को असंवैधानिक करार दिया था। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट पीठ ने कहा कि प्रथमदृष्टया हाई कोर्ट का यह मानना सही नहीं है कि मदरसा शिक्षा परिषद की स्थापना से धर्मनिरपेक्षता का उल्लंघन होगा।

फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "अधिनियम को रद्द करते समय हाई कोर्ट ने प्रथमदृष्टया अधिनियम के प्रावधानों की गलत व्याख्या की। अधिनियम किसी भी धार्मिक निर्देश का प्रावधान नहीं करता है। इसका चरित्र नियामक है।" उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट का यह कहना कि मदरसा शिक्षा परिषद का निर्माण ही धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है, सही नहीं हो सकता। कोर्ट ने मदरसों के 17 लाख बच्चों और 10,000 शिक्षकों को नियमित स्कूलों में स्थानांतरित करने के फैसले को भी रोक दिया।

जानकारी

मामले की करीबी समीक्षा की जरूरत- कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की करीबी समीक्षा की जरूरत है। उसने मामले में उत्तर प्रदेश सरकार समेत सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है। अगली सुनवाई जुलाई के दूसरे हफ्ते में होगी। पीठ में न्यायाधीश जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्र भी शामिल रहे।

कानून

क्या है मदरसा शिक्षा परिषद अधिनियम?

इस कानून को 2004 में उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए बनाया था। इसका उद्देश्य मदरसों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना, मदरसों को आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ना और मदरसा छात्रों को रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान करना था। इस कानून के बनने से पहले मदरसों का प्रबंधन शिक्षा विभाग करता था, जिसे बाद में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को सौंप दिया गया था।

हाई कोर्ट आदेश

हाई कोर्ट ने क्या आदेश दिया था?

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने 22 मार्च को मदरसा अधिनियम को रद्द कर दिया था। उसने कहा था कि यह अधिनियम धर्मनिरपक्षेता के सिद्धांत का उल्लंघन करता है और असंवैधानिक है। न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने सरकार को मदरसों में पढ़ रहे छात्रों को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में समायोजित करने के लिए एक योजना बनाने और उन्हें सामान्य स्कूलों में भेजेने का भी निर्देश दिया था।

आदेश

हाई कोर्ट ने क्या कहा था?

हाई कोर्ट ने कहा था, "मदरसा अधिनियम धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करता है, जो भारत के संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है। अधिनियम अनुच्छेद 14, 21, 21-A और भारत के संविधान और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम, 1956 की धारा 22 का भी उल्लंघन करता है।" कोर्ट ने सरकार से कहा कि वो कोशिश करें कि 6-14 वर्ष की आयु के बच्चे मान्यता प्राप्त संस्थानों में प्रवेश के बिना न रहें।