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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड कानून को रद्द किया, कहा- ये असंवैधानिक
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड कानून को रद्द कर दिया है

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड कानून को रद्द किया, कहा- ये असंवैधानिक

लेखन आबिद खान
Mar 22, 2024
05:28 pm

क्या है खबर?

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक बड़े फैसले में उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड कानून, 2004 को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताते हुए कहा कि ये धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ है। न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने उत्तर प्रदेश की सरकार को वर्तमान में मदरसों में पढ़ रहे छात्रों को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में समायोजित करने के लिए एक योजना बनाने का भी निर्देश दिया।

टिप्पणी

कोर्ट ने क्या कहा?

कोर्ट ने कहा, "मदरसा अधिनियम, 2004, धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन है, जो भारत के संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है। साथ ही अनुच्छेद 14, 21, 21-A और भारत के संविधान और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम, 1956 की धारा 22 का उल्लंघन है। ऐसे में मदरसा कानून, 2004 को असंवैधानिक घोषित किया जाता है।" कोर्ट ने सरकार से कहा कि वो कोशिश करें कि 6-14 वर्ष की आयु के बच्चे मान्यता प्राप्त संस्थानों में प्रवेश के बिना न रहें।

वजह

कोर्ट ने क्यों रद्द किया कानून?

दरअसल, पिछले महीनों में उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में इस्लामी शिक्षण संस्थानों का सर्व करने का निर्णय लिया था। मदरसों में विदेशी फंडिंग की जांच को लेकर एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन भी किया गया था। SIT ने 8,000 से अधिक मदरसों पर कार्रवाई करने की सिफारिश की थी। जांच में सामने आया था कि नेपाल से सटे 80 मदरसों को करीब 100 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग मिली थी।

SIT

SIT ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा था?

एसआईटी ने रिपोर्ट में कहा था कि कई मदरसों का निर्माण पिछले 2 दशकों में खाड़ी देशों से प्राप्त धन से किया गया है। SIT के मुताबिक, इन मदरसों से उनकी आय और व्यय की जानकारी मांगी गई तो वे उपलब्ध नहीं करा सके और चंदे की रकम से मदरसों के निर्माण की बात कही। इससे आशंका जताई गई कि मदरसों के निर्माण के लिए राशि को हवाला के जरिए भेजा गया।

कानून

क्या था मदरसा बोर्ड कानून?

इस कानून को 2004 में उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए बनाया था। इसका उद्देश्य मदरसों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना, मदरसों को आधुनिक शिक्षा प्रणाली से जोड़ना और मदरसा छात्रों को रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान करना था। इस कानून के बनने से पहले मदरसों का प्रबंधन शिक्षा विभाग करता था, जिसे बाद में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को सौंप दिया गया था।