सुप्रीम कोर्ट ने जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के मुख्य क्षेत्रों में टाइगर सफारी पर प्रतिबंध लगाया
सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में मुख्य क्षेत्रों में टाइगर सफारी पर प्रतिबंध लगा दिया। अब केवल उद्यान के परिधीय और बफर जोन में सफारी की अनुमति दी जाएगी। इसके साथ ही कोर्ट ने उद्यान में अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई के लिए उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत और तत्कालीन प्रभागीय वन अधिकारी किशन चंद को भी जमकर फटकार लगाई।
नेताओं और अधिकारियों पर कोर्ट की सख्त टिप्पणी
कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा, "राष्ट्रीय वन्यजीव संरक्षण योजना संरक्षित इलाकों से परे वन्यजीव संरक्षण की जरूरत को पहचानती है। राजनेताओं और वन अधिकारियों के बीच सांठगांठ के चलते पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है। राज्य प्रशासन और राजनेताओं ने सार्वजनिक विश्वास के सिद्धांत को कूड़ेदान में फेंक दिया है। व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए पर्यटन को बढ़ावा देने के बहाने इमारतें बनाने के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की है।''
कोर्ट ने CBI से मांगी जांच रिपोर्ट
कोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से कहा कि वह इस मामले में 3 महीने के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट पेश करें। इसके अलावा कोर्ट ने एक समिति का गठन किया है, जो ये देखेगी कि क्या देश में राष्ट्रीय उद्यानों के बफर जोन या इससे सटे इलाके में टाईगर सफारी बनाने की अनुमति दी जा सकती है। समिति की सिफारिशें पहले से मौजूद सफारी पर भी लागू होंगी।
क्या है मामला?
दरअसल, 2017 से 2022 के बीच उद्यान में टाइगर सफारी और पर्यटन के नाम पर 6,000 पेड़ों को काटा गया था। तब हरक सिंह रावत वन मंत्री थे। ये मामला उत्तराखंड हाई कोर्ट भी गया था, जिसमें कोर्ट ने CBI जांच करने का आदेश दिया था। नवंबर, 2022 में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) ने परियोजना पर रोक लगा दी थी। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में पर्यावरण कार्यकर्ता गौरव बंसल ने याचिका दायर की थी।
नैनीताल में स्थित जिम कॉर्बेट
जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित है। इसकी स्थापना 1936 में हुई थी, तब इसे हैली राष्ट्रीय उद्यान नाम से जाना जाता था। बफर जोन को मिलाकर ये 1,318 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां 280 से भी ज्यादा टाइगर रहते हैं। इसके अलावा हाथी की सफारी और रिजर्व पक्षियों की 585 से अधिक प्रजातियां यहां हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।