
न्यायपालिका बनाम कार्यपालिका विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की पहली टिप्पणी, कहा- अतिक्रमण के आरोप लग रहे
क्या है खबर?
पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग वाली याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि उस पर पहले से ही कार्यपालिका पर अतिक्रमण के आरोप लग रहे हैं।
ये याचिका वकील विष्णु शंकर जैन ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की है।
कोर्ट की इस टिप्पणी को हाल ही में भाजपा नेताओं द्वारा न्यायपालिका पर की गई टिप्पणी से जोड़कर देखा जा रहा है।
मामला
क्या है मामला?
पश्चिम बंगाल के कुछ जिलों में वक्फ कानून के विरोध को लेकर बीते दिनों हिंसा हुई थी। इसके बाद वकील जैन ने कोर्ट में याचिका दायर कर पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है।
इस याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टीस बीआर गवई ने कहा, "आप चाहते हैं कि हम इसे लागू करने के लिए राष्ट्रपति को परमादेश जारी करें? वैसे भी हम पर कार्यपालिका में अतिक्रमण करने के आरोप लग रहे हैं।"
शुरुआत
कैसे हुई थी विवाद की शुरुआत?
दरअसल, तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा विधेयकों को मंजूरी न देने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था।
इस दौरान कोर्ट ने कहा था कि राष्ट्रपति को राज्यपाल द्वारा विचार के लिए भेजे गए विधेयकों पर 3 महीने की भीतर फैसला लेना होगा और अगर इससे ज्यादा देरी होती है तो राज्य को इसका कारण भी बताना होगा।
ये फैसला ऐतिहासिक था, क्योंकि पहली बार कोर्ट ने राष्ट्रपति के लिए इस तरह की समय सीमा निर्धारित की थी।
उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा था-कोर्ट राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकती
कोर्ट के इस फैसले पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा था, "भारत में ऐसे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की थी, जहां न्यायाधीश कानून बनाएंगे, कार्यकारी जिम्मेदारी निभाएंगे और 'सुपर संसद' के रूप में काम करेंगे।"
उन्होंने आगे कहा था, "हमने इस दिन की कल्पना नहीं की थी, जहां राष्ट्रपति को तय समय में फैसला लेने के लिए कहा जाएगा और अगर वे फैसला नहीं लेंगे तो कानून बन जाएगा। अब जज विधायी चीजों पर फैसला करेंगे।"
भाजपा सांसद
भाजपा सांसद ने कहा था- सुप्रीम कोर्ट सीमा से बाहर जा रहा
इसी मामले पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा था, "देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है। कोर्ट अपनी सीमा से बाहर जा रहा है। अगर हर बात के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना है तो संसद और विधानसभा का कोई मतलब नहीं है, इसे बंद कर देना चाहिए। इस देश में जितने गृह युद्ध हो रहे हैं, उसके जिम्मेदार केवल मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना साहब हैं।"
हालांकि, भाजपा ने इस टिप्पणी से किनारा कर लिया था।