सुप्रीम कोर्ट ने शहरों के नाम बदलने की याचिका खारिज की, हिंदू धर्म को महान बताया
सुप्रीम कोर्ट ने "विदेशी आक्रमणकारियों" के नाम पर रखे गए शहरों, सड़कों, इमारतों और संस्थानों के नाम बदलने के लिए नामकरण आयोग गठित करने की मांग वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। सोमवार को जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की बेंच ने इस जनहित याचिका पर सवाल उठाते हुए कहा, "यह उन अतीत के मुद्दों को जीवंत करेगा, जो देश में उबाल ला सकते हैं। हिंदू धर्म एक महान धर्म है, जो कट्टरता की अनुमति नहीं देता।"
कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, "आप अतीत को चुनिंदा रूप से देख रहे हैं। भारत आज एक धर्मनिरपेक्ष देश है। आपकी उंगलियां एक समुदाय विशेष पर उठा रही हैं, जिसे बर्बर करार दिया गया है। क्या आप देश को उबाल में रखना चाहते हैं?" बेंच ने कहा कि किसी देश का इतिहास किसी देश की वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों को इस हद तक परेशान नहीं कर सकता कि आने वाली पीढ़ियां अतीत की कैदी बन जाएं।
हिंदू धर्म कट्टरता की अनुमति नहीं देता- सुप्रीम कोर्ट
कोर्ट ने कहा, "हिंदू धर्म एक धर्म नहीं है, बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है। हिंदू धर्म कट्टरता की अनुमति नहीं देता। इसकी महानता को समझने की कोशिश करें और किसी खास मकसद के लिए इसका इस्तेमाल न करें।" कोर्ट ने यह कहते हुए विदेशी आक्रमणकारियों के नाम पर स्थानों का नाम बदलने के लिए भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की जनहित याचिका और नामकरण आयोग के गठन की मांग को खारिज कर दिया।
याचिका में क्या कहा गया था?
अधिवक्ता उपाध्याय ने अपनी याचिका में संविधान के अनुच्छेद 21, 25 और 29 का हवाला देते हुए ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने की बात भी कही थी। याचिकाकर्ता ने कहा था कि औरंगजेब रोड, औरंगाबाद, इलाहाबाद और राजपथ जैसे कई नामों में बदलाव कर उनका स्वदेशीकरण किया जाए और इन ऐतिहासिक गलतियों को ठीक करने के लिए याचिकाकर्ता ने कोर्ट के कई निर्णयों का भी उल्लेख किया था।
इंद्रप्रथ में भगवान कृष्ण जैसे नायकों का जिक्र तक नहीं- याचिकाकर्ता
याचिका में कहा गया था कि भगवान कृष्ण और बलराम के आशीर्वाद से पांडवों ने खांडवप्रस्थ को इंद्रप्रस्थ (दिल्ली) में परिवर्तित कर दिया, लेकिन भगवान कृष्ण, बलराम और पांडवों जैसे राष्ट्रीय और सांस्कृतिक नायकों का कोई जिक्र तक नहीं है। याचिकाकर्ता ने कहा कि हाल ही में सरकार ने राष्ट्रपति भवन में बने मुगल गार्डन का नाम अमृत उद्यान किया है, लेकिन दिल्ली में अभी भी कई जगहें ऐसी हैं, जो विदेशी आक्रांताओं के नाम पर हैं।