महबूबा मुफ्ती हिरासत में, अतिक्रमण विरोधी अभियान के खिलाफ दिल्ली में कर रही थीं प्रदर्शन
दिल्ली में राष्ट्रपति भवन के पास प्रदर्शन करने पर जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उनके समर्थकों को पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया है। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) प्रमुख मुफ्ती जम्मू-कश्मीर में प्रशासन के अतिक्रमण विरोधी अभियान के खिलाफ दिल्ली में प्रदर्शन कर रही थीं। उनका आरोप है कि केंद्र शासित प्रदेश में भाजपा की सरकार गरीबों को बेघर करने का काम कर रही है और जम्मू-कश्मीर को अफगानिस्तान बनाना चाहती है।
क्या है मामला?
जम्मू-कश्मीर में प्रशासन द्वारा सरकारी भूमि पर किये गए अवैध अतिक्रमण को बुलडोजर चलाकर ध्वस्त किया जा रहा है और सरकारी भूमि पर दोबारा कब्जा हासिल किया जा रहा है। हालांकि, प्रशासन ने आश्वस्त किया है कि गरीबों के हकों को सुरक्षित रखा जाएगा और यह अतिक्रमण विरोधी अभियान प्रभावशाली और शाक्तिशाली लोगों को खिलाफ है, जिन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया। इस कार्रवाई के विरोध में आज PDP प्रमुख अपने समर्थकों के साथ दिल्ली में प्रदर्शन करने पहुंची थीं।
"जम्मू-कश्मीर को अफगानिस्तान में बनाना चाहती है भाजपा"
PDP प्रमुख ने आरोप लगाया कि जम्मू कश्मीर में फिलिस्तीन से भी बदतर हालत बन गए हैं और अतिक्रमण विरोधी अभियान में गरीबों के घरों को तोड़ा जा रहा है और बेघर हुए लोगों को छत तक नसीब नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा, "फिलिस्तीन में इजरायल जो कर रहा है, उससे भाजपा सीख ले रही है। अब उन्होंने इसे फिलिस्तीन से भी बदतर बना दिया है। वे जम्मू-कश्मीर को अफगानिस्तान जैसा बनाना चाहते हैं।"
भूमिहीनों का हक छीनना चाहती है सरकार- उमर अब्दुल्ला
पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने आरोप लगाया था कि भाजपा सरकार शेख अब्दुल्ला द्वारा किये गए भूमि सुधार को उलटने की कोशिश कर रही है, जिसने 1950 में जम्मू-कश्मीर में भूमिहीन किसानों को मालिकाना हक दिया था। उन्होंने कहा, "बिना कोई नोटिस जारी किये सीधे घरों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है। अगर किसी ने किसी संपत्ति पर कब्जा कर लिया है तो उन्हें नोटिस जारी करना चाहिए, उन्हें जवाब देने का समय देना चाहिए।"
मालिकाना हक देने वाले अधिनियम को किया जा चुका है रद्द
दरअसल, जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 2001 में रोशनी अधिनियम पारित हुआ था। इसके तहत साल 2007 में राज्य सरकार ने अवैध कब्जाधारियों को जमीन का मालिकाना हक दिया था, जबकि कृषि भूमि उन्हें मुफ्त में दे दी गई थी जो उस पर खेती कर रहे थे। साल 2018 में केंद्रीय शासन लागू होने के बाद राज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस अधिनियम को निरस्त कर दिया, वहीं साल 2020 में जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने रोशनी योजना को अवैध घोषित कर दिया।