पटाखों पर प्रतिबंध: सुप्रीम कोर्ट का तत्काल सुनवाई से इनकार, कहा- मिठाइयों पर पैसा खर्च कीजिए
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध के खिलाफ भाजपा सांसद मनोज तिवारी की याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया है।
इसके लिए शहर के वायु प्रदूषण का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "लोगों को साफ हवा में सांस लेने दीजिए। अपना पैसा मिठाइयों पर खर्च कीजिए।"
तिवारी के वकील शशांक शेखर झा ने कोर्ट के लंच ब्रेक के दौरान याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था।
याचिका
मनोज तिवारी ने 10 अक्टूबर को दाखिल की थी याचिका
उत्तर-पूर्व दिल्ली से सांसद मनोज तिवारी ने पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के दिल्ली सरकार के फैसले के खिलाफ 10 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
तब भी कोर्ट ने उनकी याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया था और इसे पटाखों से संबंधित अन्य लंबित याचिकाओं के साथ जोड़ दिया था।
कोर्ट ने कहा था, "हम पटाखों की अनुमति कैसे दे सकते हैं जब ग्रीन पटाखे उपलब्ध हैं। आपने दिल्ली का प्रदूषण देखा है?"
प्रतिबंध
दिल्ली सरकार ने 7 सितंबर को लगाया था पटाखों पर प्रतिबंध
वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ा कदम उठाते हुए दिल्ली सरकार ने 7 सितंबर को पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया था। ये प्रतिबंध 1 जनवरी तक लागू रहेगा और इस दौरान पटाखों के निर्माण, भंडारण, बिक्री और इस्तेमाल पर रोक रहेगी।
पटाखों का निर्माण, भंडारण और बिक्री करने पर 5,000 रुपये के जुर्माने और तीन साल तक की जेल का प्रावधान है, वहीं पटाखे चलाने पर 200 रुपये के जुर्माने और छह महीने की जेल का प्रावधान है।
प्रतिबंध
दिल्ली में तीन साल से लगाया जा रहा है पटाखों पर प्रतिबंध
बता दें कि पटाखों के इस्तेमाल के कारण होने वाले प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली में पिछले तीन साल से दिवाली के मौके पर पटाखों पर पाबंदी लगाई जा रही है।
पिछले साल ये प्रतिबंध 28 सितंबर से 1 जनवरी तक लागू रहा था और नए साल पर भी पटाखों के इस्तेमाल पर पाबंदी रही थी।
इससे पहले 2020 में 9 नवंबर से 30 नवंबर तक पटाखों पर प्रतिबंध रहा था। ये प्रतिबंध राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने लगाया था।
प्रतिबंध का उल्लंघन
प्रतिबंध के बावजूद जमकर पटाखे चलाते हैं लोग, जहरीली हो जाती है हवा
प्रतिबंध के बावजूद दिल्ली में लोग जमकर पटाखे चलाते हैं और इसके कारण शहर की हवा इतनी जहरीली हो जाती है कि ये सांस लेने लायक नहीं रहती।
पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने से ये समस्या और बढ़ जाती है और ये दोनों चीजें सर्द मौसम के साथ मिलकर दिल्ली की हवा को जहरीली बना देती हैं।
लगभग हर साल यही स्थिति होती है और शहर के ऊपर कोहरे जैसी प्रदूषण की एक धुंध छा जाती है।
दिल्ली में प्रदूषण
दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है दिल्ली
गौरतलब है कि अगस्त में जारी की गई स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर के हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (HEI) की रिपोर्ट में दिल्ली को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बताया गया था।
प्रदूषण के कारण मौतों की सूची में भी वह छठवें स्थान पर रहा और यहां प्रति लाख आबादी पर 106 मौतें हुईं। 2019 में दिल्ली में प्रदूषण के कारण कुल 29,900 मौतें हुईं।
इससे पहले IQAir की रिपोर्ट में दिल्ली को दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी घोषित किया गया था।