हिजाब विवाद: सुप्रीम कोर्ट का तत्काल सुनवाई करने से इनकार, कहा- मामले को सनसनीखेज न बनाएं
सुप्रीम कोर्ट ने हिजाब विवाद पर जल्द सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। कक्षाओं के अंदर हिजाब पर प्रतिबंध लगाने वाले कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ डाली गई याचिकाओं पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के वकील को मुद्दे को सनसनीखेज न बनाने की नसीहत दी। मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमन्ना ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की मामले में दखल देने की अपील को भी खारिज कर दिया।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा- पाबंदी के कारण छात्राओं को एक साल गंवाना पड़ेगा
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से दलील पेश करते हुए वकील देवदत्त कामत ने कहा कि छात्राओं को परीक्षा के दौरान हिजाब पहनने का विकल्प नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 28 मार्च से परीक्षाएं शुरू होने जा रही हैं और छात्राओं को एक साल गंवाना पड़ेगा क्योंकि प्रशासन हिजाब के साथ प्रवेश नहीं दे रहा है। इस पर CJI रमन्ना ने कहा, "इसका परीक्षा से कोई संबंध नहीं है। मामले को सनसनीखेज मत बनाइए।"
पहले भी तत्काल सुनवाई से इनकार कर चुका है सुप्रीम कोर्ट
बता दें कि 16 मार्च को भी सुप्रीम कोर्ट ने हिजाब विवाद से संबंधित याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया था, हालांकि वह याचिकाओं को होली के बाद सूचीबद्ध करने के लिए तैयार हो गया था।
कर्नाटक हाई कोर्ट ने क्या आदेश दिया था?
15 मार्च को सुनाए गए अपने फैसले में कर्नाटक हाई कोर्ट ने मुस्लिम छात्रों को कक्षा में हिजाब पहनने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि स्कूल यूनिफॉर्म एक उचित पाबंदी है और छात्राएं इस पर आपत्ति नहीं उठा सकतीं।
कैसे हुई थी विवाद की शुरुआत?
कर्नाटक में हिजाब विवाद की शुरूआत 28 दिसंबर को उडुपी के पीयू कालेज में छह छात्राओं को हिजाब पहनने पर कक्षाओं में प्रवेश न देने इसे हुई थी। छात्राओं ने इसके खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया और हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। कई हिंदू छात्रों के विरोध में उतरने से यह विवाद उडुपी से दूसरे जिलों में भी फैल गया। 9 फरवरी को हाई कोर्ट ने मामले को तीन जजों वाली बड़ी बेंच को रेफर कर दिया था।
विवाद के कारण छात्राओं को करना पड़ा कई समस्याओं का सामना
इस पूरे विवाद के कारण मुस्लिम छात्राओं को बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ा था। कई जगह पर हिंदू छात्र उनके विरोध में उतर आए और भगवान स्कार्फ और पगड़ी पहनकर स्कूल आने लगे। कुछ स्कूलों में मुस्लिम छात्राओं और हिंदू छात्रों के बीच कहासुनी की घटनाएं भी देखने को मिलीं। छोटी बच्चियों से लेकर मुस्लिम शिक्षकों तक को स्कूल के गेट पर ही हिजाब उतारने को मजबूर करने के वीडियो भी सामने आए थे।