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    धर्म संसद भड़काऊ बयानबाजी: सुप्रीम कोर्ट का उत्तराखंड सरकार को नोटिस, 10 दिन में मांगा जवाब
    सुप्रीम कोर्ट का धर्म संसद मामले में उत्तराखंड सरकार को नोटिस

    धर्म संसद भड़काऊ बयानबाजी: सुप्रीम कोर्ट का उत्तराखंड सरकार को नोटिस, 10 दिन में मांगा जवाब

    लेखन मुकुल तोमर
    Jan 12, 2022
    12:20 pm

    क्या है खबर?

    सुप्रीम कोर्ट ने हरिद्वार की 'धर्म संसद' में भड़काऊ बयानबाजी से संबंधित मामले में उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया है और उससे 10 दिन के अंदर मामले पर जवाब दाखिल करने को कहा है।

    कोर्ट ने दिल्ली सरकार को भी एक नोटिस जारी किया है और उससे भी शहर में हुए एक कार्यक्रम के बारे में जवाब मांगा है। इस कार्यक्रम में भी मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी की गई थी।

    सुनवाई

    दो दिन पहले ही मामले पर सुनवाई करने को तैयार हुआ था सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड और दिल्ली की सरकारों को ये नोटिस पटना हाई कोर्ट की पूर्व जज अंजना प्रकाश और पत्रकार कुरबान अली की याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया।

    दो दिन पहले ही कोर्ट ने उनकी याचिका को स्वीकार किया था। इसमें मामले की स्वतंत्र जांच की मांग की गई है।

    कोर्ट ने उन्हें 23 जनवरी को अलीगढ़ में होने वाली धर्म संसद को रोकने के लिए स्थानीय प्रशासन से संपर्क करने की मंजूरी भी दे दी है।

    पृष्ठभूमि

    हरिद्वार की धर्म संसद में क्या हुआ था?

    हरिद्वार में 17-19 दिसंबर को हुई 'धर्म संसद' में संतों ने भड़काऊ बयान दिए थे और मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा के लिए उकसाया था।

    इसमें अन्नपूर्णा मां ने कहा था, "अगर इनकी जनसंख्या को खत्म करना है तो मारने को तैयार रहो। हम 100 ने इनके 20 लाख को भी मार दिया तो हम विजयी हैं।"

    आनंद स्वरूप महाराज ने कहा था कि अगर हिंदू राष्ट्र बनाने की मांगों को नहीं माना गया तो 1857 से भी भयानक युद्ध होगा।

    जांच

    विवाद के बाद मामले में दर्ज की गई FIR, SIT कर रही जांच

    शुरूआत में मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई, लेकिन जब इस पर विवाद खड़ा हुए तो उत्तराखंड पुलिस ने एक FIR दर्ज की।

    FIR में जीतेंद्र त्यागी, साध्वी अन्नपू्र्णा और धर्मदास, यति नरसिंहानंद और सागर सिंधु समेत पांच लोगों को नामजद किया गया है। नरसिंहानंद कार्यक्रम के मुख्य आयोजक थे और वे पहले भी ऐसे भड़काऊ बयान दे चुके हैं।

    मामले की जांच एक विशेष जांच दल (SIT) कर रहा है जिसका प्रमुख पुलिस अधीक्षक रैंक का अधिकारी है।

    घटना पर सवाल

    सुप्रीम कोर्ट के वकीलों ने न्यायिक हस्तक्षेप के लिए लिखा था CJI को पत्र

    धर्म संसद में दिए गए इन भड़काऊ भाषणों पर राजनीतिक पार्टियों के अलावा विभिन्न वर्गों के प्रबुद्ध लोगों ने भी सवाल खडे किए थे।

    सुप्रीम कोर्ट के 76 वकीलों ने भी मामले में मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमन्ना को पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने CJI से "जातीय संहार" का आह्वान करने वाले धर्म संसद जैसे कार्यक्रमों का स्वतः संज्ञान लेने का अनुरोध किया गया था।

    उन्होंने कहा था कि मामले में न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत है।

    अन्य पत्र

    पूर्व सैन्य प्रमुखों ने लिखा था राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र

    इसके अलावा पांच पूर्व सैन्य प्रमुखों, कई नौकरशाहों और दूसरी कई सम्मानित हस्तियों ने भी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस तरह के मामलों का संज्ञान लेने को कहा था।

    पत्र में हरिद्वार और दिल्ली के आयोजनों और ईसाईयों, दलितों और सिखों समेत दूसरे अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं का जिक्र किया गया था।

    इसमें कहा गया था कि इससे आपसी भाईचारा खराब होगा और बाहरी ताकतें इसका फायदा उठा सकती हैं।

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