हरिद्वार: भड़काऊ भाषण देने के आरोप में यति नरसिंहानंद गिरफ्तार
हरिद्वार 'धर्म संसद' में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में उत्तराखंड पुलिस ने यति नरसिंहानंद को गिरफ्तार कर लिया है। दो दिन पहले इस मामले में दूसरे आरोपी जीतेंद्र नारायण त्यागी ऊर्फ वसीम रिजवी की भी गिरफ्तारी हुई थी। त्यागी की गिरफ्तारी के विरोध में नरसिंहानंद हरिद्वार के सर्वानंद घाट पर भूख हड़ताल पर बैठे थे। पुलिस ने बताया कि नरसिंहानंद की गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थकों ने थाने के बाहर हंगामा किया था, जिसके बाद हल्का बलप्रयोग करना पड़ा।
नरसिंहानंद के खिलाफ एक और FIR दर्ज
गिरफ्तारी से पहले नरसिंहानंद का एक पत्रकार के साथ विवाद हो गया था। पत्रकार की शिकायत के बाद पुलिस ने उनके खिलाफ और FIR दर्ज की है। गाजियाबाद के डासना मंदिर में पुजारी नरसिंहानंद ने त्यागी की गिरफ्तारी को 'अन्याय' बताते दावा किया था कि त्यागी को इसलिए गिरफ्तार किया गया है कि क्योंकि वो इस्लाम छोड़कर हिंदू बने हैं। यह इसलिए किया जा रहा है ताकि दूसरा मुसलमान हिंदू धर्म को न अपना लें।
17-19 दिसंबर को आयोजित हुई थी 'धर्म संसद'
हरिद्वार में 17-19 दिसंबर को हुई 'धर्म संसद' में संतों ने भड़काऊ बयान दिए थे और मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा के लिए उकसाया था। इसमें अन्नपूर्णा मां ने कहा था, "अगर इनकी जनसंख्या को खत्म करना है तो मारने को तैयार रहो। हम 100 ने इनके 20 लाख को भी मार दिया तो हम विजयी हैं।" आनंद स्वरूप महाराज ने कहा था कि अगर हिंदू राष्ट्र बनाने की मांगों को नहीं माना गया तो 1857 से भी भयानक युद्ध होगा।
SIT कर रही है मामले की जांच
भड़काऊ भाषण देने के मामले में दो FIR दर्ज हुई हैं। 23 दिसंबर को दर्ज पहली FIR में त्यागी, धर्मदास महाराज, अन्नपूर्णा मां, नरसिंहानंद और सागर सिंधुराज महाराज के नाम शामिल हैं। इसके बाद 2 जनवरी को दूसरी FIR दर्ज की गई थी। उत्तराखंड पुलिस ने इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया है। शुरुआती दिनों में उत्तराखंड पुलिस पर इस मामले में ढिलाई बरतने के भी आरोप लगे थे।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से मांगा है जवाब
सुप्रीम कोर्ट भी हरिद्वार 'धर्म संसद' मामले की सुनवाई कर रहा है और उसने बुधवार को उत्तराखंड सरकार को नोटिस भेजकर 10 दिनों में जवाब मांगा है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को भी एक नोटिस जारी किया है और उससे भी शहर में हुए एक कार्यक्रम के बारे में जवाब मांगा है। इस कार्यक्रम में भी मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी की गई थी। कुछ लोग उत्तराखंड पुलिस की सक्रियता को इसी नोटिस का असर मान रहे हैं।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजे गए हैं पत्र
पांच पूर्व सैन्य प्रमुखों, कई नौकरशाहों और दूसरी कई सम्मानित हस्तियों ने भी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस तरह के मामलों का संज्ञान लेने को कहा था। पत्र में हरिद्वार और दिल्ली के आयोजनों और ईसाईयों, दलितों और सिखों समेत दूसरे अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं का जिक्र किया गया था। इसमें कहा गया था कि इससे आपसी भाईचारा खराब होगा और बाहरी ताकतें इसका फायदा उठा सकती हैं।