हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं- कर्नाटक हाई कोर्ट
कर्नाटक हाई कोर्ट ने हिजाब विवाद पर अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है। फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि स्कूल ड्रेस लागू करना एक उचित प्रतिबंध है, जिसका छात्र विरोध नहीं कर सकते और 5 फरवरी के सरकारी आदेश को अमान्य करने के लिए कोई केस नहीं बनता है।
कैसे हुई थी विवाद की शुरुआत?
कर्नाटक में हिजाब विवाद की शुरूआत 28 दिसंबर को उडुपी के पीयू कालेज में छह छात्राओं को हिजाब पहनने पर कक्षाओं में प्रवेश न देने इसे हुई थी। इसके बाद छात्राओं ने प्रदर्शन किया और हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। कई छात्र विरोध में उतरने से यह उडुपी से दूसरे जिलों में भी फैल गया। 9 फरवरी को हाई कोर्ट मामले को तीन जजों वाली पूर्ण पीठ को रेफर कर दिया था। जिसके बाद लगातार सुनवाई हुई थीं।
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने किया फैसले का स्वागत
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, "मैं सभी लोगों से अपील करता हूं कि देश और राज्य को आगे बढ़ाएं। हम सबको शांति का माहौल बनाकर रखना है। छात्रों का मूलभूत काम अध्ययन और ज्ञान अर्जित करना है। सब लोग एक होकर पढ़ाई करें।"
पिछले महीने पूरी हो गई थी सुनवाई
25 फरवरी को कर्नाटक हाई कोर्ट के मुख्य न्यायधीश ऋतुराज अवस्थी के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय बेंच ने इस मामले की सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। तब बेंच ने कहा था कि उसने पिछले 15 दिनों में मामले से जुड़ी सभी 11 याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर ली है। इसमें दोनों पक्षों की दलीलों पर गौर किया गया है और उनके धार्मिक विश्वास और सरकार के अधिकारों को समझने का प्रयास किया है।
सुनवाई में उठा अनुच्छेद-25 और हिजाब अनिवार्यता का मुद्दा
सुनवाई के दौरान कोर्ट में अनुच्छेद-25 और हिजाब अनिवार्यता का मुद्दा उठाया गया था। याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि हिजाब पर रोक का सरकार का आदेश संविधान के अनुच्छेद-25 (धार्मिक स्वतंत्रता) का उल्लंघन है। राज्य किसी व्यक्ति की धार्मिक मान्यताओं पर सवाल नहीं उठा सकता और लोगों को अपने धर्म का पालन करने और प्रचार करने का पूर्ण अधिकार है। उस दौरान कोर्ट ने धार्मिक स्वतंत्रता के पूर्ण आदेशों के अध्ययन की बात कही थी।
सरकार ने कही अनुच्छेद 25 का उल्लंघन न करने की बात
इस मामले में कर्नाटक सरकार ने दलील दी थी कि हिजाब इस्लाम की आवश्यक धार्मिक प्रथा यानी अनिवार्य नहीं है और इसके उपयोग को रोकना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन नहीं करता है। सरकार का कहना था कि धर्म को शिक्षण संस्थानों से दूर रखा जाना चाहिए। मुस्लिम छात्राएं हिजाब पहनकर स्कूल परिसर में आ सकती है, लेकिन क्लास के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
हाई कोर्ट ने दिया था धार्मिक ड्रेस की जिद न करने का आदेश
मामले में 10 फरवरी को पूर्ण पीठ ने छात्रों को फैसला आने तक धार्मिक ड्रेस पहनने की जिद नहीं करने और सरकार को स्कूल और कॉलेजों को फिर से खोलने का अंतरिम आदेश दिया था। उसके बाद सरकार ने 14 फरवरी से 10वीं तक के स्कूल और 16 फरवरी से सभी कॉलेजों को फिर से खोल दिया था। हालांकि, उसके बाद भी कुछ छात्राएं हिजाब पनकर कॉलेज पहुंच रही थींं। इसको लेकर आठ जिलों में धारा-144 लगाई गई थी।
राज्य में कई जगह धारा 144 लागू
इस फैसले से राजधानी बेंगलुरू समेत कई इलाकों में धारा 144 लागू कर दी गई थी। बेंगलुरू पुलिस कमिश्नर शहर में 15 से 21 मार्च तक लोगों के इकट्ठा होने, प्रदर्शनों और आयोजनों पर रोक लगा दी है। वहीं उडुपी और दक्षिण कन्नड़ा में भी प्रशासन ने ऐहतियात के तौर पर मंगलवार को सभी स्कूल और कॉलेज बंद रखने का फैसला किया है। सोमवार को कानून व्यवस्था को लेकर हाई कोर्ट अधिकारियों ने पुलिस के साथ बैठक की थी।