अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा: अतिरिक्त समय देने पर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने अस्पतालों में आग से बचाव के नियमों को लागू करने में दिए गए समय को लेकर गुजरात सरकार को फटकार लगाई गई है। आदेश की अवहेलना का आरोप लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की अधिसूचना अस्पतालों को नियम लागू करने के लिए और अधिक समय दे रही है। जब तक वो कदम नहीं उठाएंगे, मरीज मरते रहेंगे। कोर्ट ने कहा कि अधिसूचना से ऐसा लगता है कि सरकार दोषियों को बचा रही है।
पिछले साल नवंबर में राजकोट के एक कोरोना अस्पताल में आग लग गई थी। इस घटना में मरीजों की मौत पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने 18 दिसंबर को सभी राज्यों अस्पतालों में आग से बचाव के इंतजामों का ऑडिट कर उसके आधार पर जरूरी कार्रवाई को कहा था। इसके बाद गुजरात सरकार ने अधिसूचना जारी कर अस्पतालों को अग्नि सुरक्षा के मानक पूरे करने के लिए अगले साल तक का समय दे दिया।
सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एमआर शाह की बेंच ने कहा कि अदालत की तरफ से आदेश जारी होने के बाद इसे सरकारी अधिसूचना से बदला नहीं जा सकता। आपने (गुजरात सरकार) ने अस्पतालों को छूट दे दी और कहा कि आपको 2022 तक यह आदेश नहीं मानना है और तब तक लोग जलकर मरते रहेंगे। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि राज्य सरकार ऐसी छवि न बनाए कि वह अस्पतालों को बचा रही है।
सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "नासिक में एक मरीज ठीक हो चुका था और उसे अगले दिन डिस्चार्ज किया जाना था। दो नर्सें वॉशरूम में गई थी। सभी जिंदा जलकर मर गए। ये मानवीय त्रासदियां हमारी आंखों के सामने हुई हैं। अस्पताल लोगों की तकलीफ से कमाई का जरिया बन गए हैं।" उन्होंने कहा कि चार कमरों वाली जगहों पर अस्पताल चल रहे हैं। इनका बंद हो जाना ही बेहतर है।
बेंच ने राज्य सरकार से हलफनामा देकर अधिसूचना पर सफाई देने के साथ-साथ कोर्ट के आदेश के बाद किए गए ऑडिट पर उठाए गए कदमों की जानकारी भी मांगी। दो हफ्ते बाद इस मामले में अगली सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने अस्पताल अग्निकांड की जांच रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में दिए जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह देश की परमाणु सुरक्षा से जुड़ा मामला नहीं है, जो इतनी गोपनीयता बरती जा रही है।
बीते साल नवंबर में राजकोट स्थित उदय शिवानंद अस्पताल में आग लगने से पांच कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हुई थी। आग लगने के वक्त अस्पताल में 30 से ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती थे। शॉर्ट सर्किट को आग लगने का कारण बताया गया था। आग सबसे पहले अस्पताल के ICU वार्ड में लगी और वहां से दूसरी जगहों पर फैल गई। सितंबर से इस अस्पताल में कोरोना संक्रमितों की इलाज शुरू हुआ था।