
उत्तर प्रदेश में बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, दिया 10-10 लाख मुआवजे का आदेश
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुई बुलडोजर कार्रवाई पर सख्त रुख अपनाया है।
कोर्ट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण को 5 याचिकाकर्ताओं को 10-10 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। प्राधिकरण को यह मुआवजा 6 हफ्ते के भीतर देना होगा।
कोर्ट ने मामले पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यह हमारी अंतरात्मा को झकझोरता है और प्राधिकरण ने घर गिराने की प्रक्रिया मनमानी तरीके से की।
मामला
क्या है मामला?
2021 में प्रयागराज में एक वकील, एक प्रोफेसर और 3 अन्य लोगों के मकान तोड़ दिए गए थे।
इन लोगों को 6 मार्च, 2021 को नोटिस दिया गया था। आरोप था कि ये जमीन दिवंगत गैंगस्टर अतीक अहमद के नाम पर थी।
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि नोटिस जारी होने के 24 घंटे के भीतर और अपील का समय दिए बिना ही मकान तोड़े गए।
बाद में याचिकाकर्ताओं ने इलाहाबाद हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
टिप्पणी
कोर्ट ने कहा- घर गिराने की प्रक्रिया असंवैधानिक थी
कोर्ट ने कहा, "घर गिराने की प्रक्रिया असंवैधानिक थी। यह हमारी अंतरात्मा को झकझोरता है। राइट टू शेल्टर नाम भी कोई चीज होती है। उचित प्रक्रिया नाम की भी कोई चीज होती है। इस तरह की कार्रवाई किसी तरह से भी ठीक नहीं है।"
कोर्ट ने कहा कि यह मुआवजा इसलिए भी जरूरी है, ताकि भविष्य में सरकारें बिना उचित प्रक्रिया के लोगों के मकान गिराने से परहेज कर सकें।
बयान
अखिलेश यादव ने किया फैसले का स्वागत
फैसले पर अखिलेश यादव ने लिखा, 'इस मामले में कोर्ट ने नोटिस मिलने के 24 घंटे के भीतर मकान गिरा देने की कार्रवाई को अवैध घोषित किया है। सच तो ये है कि घर केवल पैसे से नहीं बनता है और न ही उसके टूटने का जख्म सिर्फ पैसों से भरा जा सकता है। परिवारवालों के लिए तो घर एक भावना है। उसके टूटने पर जो भावनाएं आहत होती हैं, उनका कोई मुआवजा नहीं दे सकता है।'
घटना
कोर्ट ने बच्ची के वायरल वीडियो का भी किया जिक्र
कोर्ट ने हाल ही में वायरल एक वीडियो का हवाला भी दिया। इस वीडियो में बुलडोजर कार्रवाई के दौरान एक बच्ची अपनी किताबें लेकर ढहती झोपड़ी से भागती दिख रही है।
जस्टिस उज्जल भुईयां ने कहा, "उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर 24 मार्च को अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान एक तरफ झोपड़ियों पर बुलडोजर चलाया जा रहा था तो दूसरी तरफ एक 8 साल की बच्ची अपनी किताब लेकर भाग रही थी। इस तस्वीर ने सबको झकझोर दिया था।"
रोक
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर लगाई थी रोक
उत्तर प्रदेश समेत अन्य भाजपा शासित राज्यों में बुलडोजर कार्रवाई को लेकर जमीयत उलेमा-ए-हिंद सुप्रीम कोर्ट गया था। जमीयत का तर्क था कि यह कार्रवाई विशेष समुदाय को निशाना बनाकर की जा रही है।
इसके बाद कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाते हुए कहा था, "मनमाने तरीके से बुलडोजर चलाने वाली सरकारें कानून को हाथ में लेने की दोषी हैं। घर बनाना संवैधानिक अधिकार है। राइट टू शेल्टर मौलिक अधिकार है।"