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    सुप्रीम कोर्ट ने उठाए केंद्र की कोरोना वैक्सीनेशन नीति पर सवाल, दो सप्ताह में मांगा जवाब
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    सुप्रीम कोर्ट ने उठाए केंद्र की कोरोना वैक्सीनेशन नीति पर सवाल, दो सप्ताह में मांगा जवाब

    लेखन भारत शर्मा
    May 31, 2021 | 03:03 pm 1 मिनट में पढ़ें
    सुप्रीम कोर्ट ने उठाए केंद्र की कोरोना वैक्सीनेशन नीति पर सवाल, दो सप्ताह में मांगा जवाब

    कोरोना महामारी के खिलाफ केंद्र द्वारा चलाए जा रहे मेगा वैक्सीनेशन अभियान में वैक्सीनों की अलग-अलग कीमत, खुराकों की कमी और अभियान की धीमी रफ्तार के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इसमें केंद्र सरकार ने बताया कि इस साल के अंत तक देश में सभी को वैक्सीन लगा दी जाएगी। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की वैक्सीनेशन नीति पर कई अहम सवाल खड़े किए और जवाब के लिए सरकार को दो सप्ताह का समय दिया।

    वैक्सीनेशन नीति की आलोचनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने की सुनवाई

    दरअसल, देश में चल रहे वैक्सीनेशन अभियान में सरकार की वैक्सीनेशन नीति में वैक्सीनों की अलग-अलग कीमत, वैक्सीन की कमी, वैक्सीन खरीद में भेदभाव और अभियान की धीमी रफ्तार को लेकर सरकार की जमकर आलोचना हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी मामलों पर सोमवार को स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई की थी। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की वैक्सीनेशन नीति में मौजूद खामियों को उजागर करते हुए जवाब मांगा है।

    केंद्र ने साल के अंत तक सभी को वैक्सीन लगने की जताई उम्मीद

    सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार की वैक्सीनेशन नीति की आलोचना के बीच सरकार इस साल के अंत तक सभी व्यस्क लोगों को वैक्सीन लगाने को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। उन्होंने कहा SII, भारत बायोटेक और रेड्डीज लैबोरेटरीज द्वारा उत्पादित खुराकें 18 साल से अधिक के सभी लोगों के लिए पर्याप्त होगी। इसी तरह सरकार फाइजर जैसी अन्य कंपनियों से भी बात कर रही है। इससे देश की वैक्सीनेशन रफ्तार तेजी होगी।

    सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सरकार की वैक्सीनेशन नीति पर सवाल

    जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, एलएन राव और एस रवींद्र भट की पीठ ने सरकार की वैक्सीनेशन नीति पर कई सवाल उठाते हुए सरकार को उन पर ध्यान देने तथा सभी सवालों के जवाब 15 दिन में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने कहा 45 साल से अधिक वालों के लिए केंद्र वैक्सीन की खरीद कर रहा है और 18-44 वर्ष वालों के लिए 50 प्रतिशत अधिकार राज्यों को दे दिए गए हैं। इस विभाजन के पीछे वास्तविक आधार क्या है?

    सभी के लिए वैक्सीन क्यों नहीं खरीद रहा केंद?

    कोर्ट ने कहा कि केंद्र का तर्क है कि 45+ वालों की मृत्यु दर अधिक है, जबकि 18-44 साल वालों की कम। यदि सरकार का उद्देश्य वैक्सीन खरीदना है तो केवल 45 साल से अधिक वालों के लिए ही क्यों? सभी के लिए क्यो नहीं?

    मई में 18-40 वर्ष आयु वर्ग 50 प्रतिशत लोग हुए संक्रमित- सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछले हफ्ते के आंकड़ों से पता चला है कि 1-24 मई के बीच कोरोना संक्रमण की चपेट में आए कुल लोगों में करीब 50 प्रतिशत लोग 18-40 वर्ष समूह के थे। इनमें 1-7 मई बीच 49.70 प्रतिशत और 22-24 मई के बीच 47.84 लोग संक्रमित हुए हैं। ऐसे में सरकार द्वारा केवल 45 साल से अधिक वालों को ही मुफ्त वैक्सीन देना और अन्य आयु वर्क से पैसे वसूलना समानता की स्थिति के खिलाफ है।

    वैक्सीन के लिए राज्यों को क्यों चुकानी पड़ रही है अधिक कीमत- सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि केंद्र की तुलना में राज्यों को वैक्सीन खरीद के लिए अधिक कीमत क्यों चुकानी पड़ रही है? सरकार ने वैक्सीन की की कीमत निर्धारित करने की जिम्मेदारी कंपनियों पर क्यों छोड़ दी? केंद्र सरकार को देश के लिए एक वैक्सीन की एक कीमत रखने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। बता दें कि केंद्र की उदारीकृत नीति के तहत राज्यों को वैक्सीन निर्माता कंपनियों से केंद्र की तुलना में अधिक कीमत पर वैक्सीन खरीदनी पड़ रही है।

    सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल वैक्सीनेशन को लेकर की सरकार की आलोचना

    कोर्ट ने सरकार के डिजिटल वैक्सीनेशन को लेकर भी आलोचना की और कहा कि वैक्सीनेशन के लिए कोविन प्लेटफॉर्म पर पंजीयन की अनिवार्यता का यह 'डिजिटल बंटवारा' गांवों में वैक्सीनेशन की कोशिशों पर असर डालेगा, क्योंकि वहां इंटरनेट उतना सुगम नहीं है। कोर्ट ने पूछा कि 'सबको कोविन ऐप पर पंजीयन करना अनिवार्य है, लेकिन इस डिजिटल बंटवारे के चलते क्या वास्तव में गांवों में सभी लोग खुद को कोविन पर पंजीयन कर पाएंगे?'

    केंद्र सरकार ने इस मामले पर दी यह सफाई

    इस सवाल पर सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि गांवों में लोग कंप्यूटर सेंटरों पर जाकर कोविन पर पंजीयन करा सकते हैं। इससे उन्हें वैक्सीन लग जाएगी। इसी तरह सरकार ने अब 18 साल से अधिक वालों को भी ऑफलाइन पंजीयन की सुविधा दी है।

    हालातों को समझते हुए उठाए जाने चाहिए अपेक्षित कदम- सुप्रीम कोर्ट

    सुनवाई में कोर्ट ने कहा, "हमारा उद्देश्य सरकार की आलोचना करना और नीतियां लागू करना नहीं है। यदि हमें कुछ करना होता तो हम 15 दिन पहले ही कर देते।" कोर्ट ने कहा कि इस सुनवाई का उद्देश्य एक मंच तैयार करना है ताकि सभी पक्षों की परेशानी सुनी जा सके और केंद्र उनका समाधान करें। केंद्र सरकार को वैक्सीनेशन अभियान के वर्तमान हालातों को समझते हुए उनके समाधान के लिए सक्षम और सार्थक कदम उठाने चाहिए।"

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