ब्लैक फंगस: भारत में एम्फोटेरिसीन बी इंजेक्शन की 10 लाख खुराकें भेजेगी गिलियाड
क्या है खबर?
भारत में ब्लैक फंगस के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच इसके इलाज में इस्तेमाल होने वाले एम्फोटेरिसीन बी (Amphotericin-B) इंजेक्शन की भारी कमी पड़ रही है।
इसे देखते हुए अमेरिकी कंपनी गिलियाड साइसेंस ने इस इंजेक्शन की 10 लाख खुराकें भारत भेजने का फैसला किया है। कंपनी इस संबंध में प्रक्रिया को तेज करने में लगी हुई है।
फार्मा कंपनी माइलन के साथ साझेदारी में ये इंजेक्शन भारत में बेचे जाएंगे।
आफत
भारत में ब्लैक फंगस के 11,000 से अधिक मामले
भारत में कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के बाद से ब्लैक फंगस के मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में अभी तक इसके 11,000 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं और गुजरात इससे सबसे ज्यादा प्रभावित है।
मामलों में इजाफे के साथ-साथ एम्फोटेरिसीन बी इंजेक्शन की मांग बढ़ रही है और इसके लिए भी मारामारी होने लगी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार से इसकी कमी का कारण बताने को कहा है।
जानकारी
प्रधानमंत्री मोदी ने दिए दवा खरीद के आदेश
सूत्रों के हवाले से मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने अधिकारियों को किसी भी देश से यह दवा भारत लाने के निर्देश दिए हैं ताकि इसकी कमी को दूर किया जा सके।
इसके बाद विदेशों में स्थित भारतीय मिशनों ने दवा की आपूर्ति को लेकर काम तेज कर दिया है।
इसी बीच खबर आई कि अमेरिकी कंपनी गिलियाड साइसेंस भारत को इस दवा की 10 लाख खुराकें भेजने को तैयार है।
जानकारी
विदेशों से स्टॉक मंगवा कर भारत भेजेगी गिलियाड
जानकारी के अनुसार, माइलन के जरिये गिलियाड यह दवा भारत भेजेगी। इसके लिए कंपनी ने विदेशों से अपने स्टॉक को वापस मंगाया है। बता दें कि गिलियाड साइंसेस वही कंपनी है, जो रेमडेसिवीर का उत्पादन करती है।
इलाज
ब्लैक फंगस के इलाज में कौन-कौन सी दवा इस्तेमाल होती है?
डॉक्टरों का कहना है कि फंगस का इलाज तुरंत किए जाने की जरूरत है। आमतौर पर इसके इलाज में एंटी-फंगल दवाओं का इस्तेमाल होता है और कई मामलों में फंगस हटाने के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ती है।
इलाज में सबसे ज्यादा लिपोसोमल एम्फोटेरिसीन बी इंजेक्शन का उपयोग होता है।
अगर यह न मिले तो एम्फोटेरिसीन बी डिऑक्सीक्लोरेट इंजेक्शन, इसावुकोनाजोल (Isavuconazole) और पोसाकोनाजोल (Posaconazole) का इस्तेमाल होता है। अंतिम दो गोली और इंजेक्शन दोनों रूप में उपलब्ध हैं।
ब्लैक फंगस
मामले बढ़ने के कारण मांग में आया तेज उछाल
एम्फोटेरिसीन की मदद से चलने वाला इलाज 4-6 सप्ताह तक चल सकता है। इस दौरान मरीज को 90-120 इंजेक्शन देने की जरूरत पड़ सकती है। इनकी खरीद पर लगभग 5-8 लाख रुपये का खर्च आता है।
अगर एक मरीज के लिए 100 इंजेक्शन की जरूरत मानकर चला जाए तो भी देश में 11-12 लाख इंजेक्शन्स की जरूर पड़ेगी, जबकि इसकी आपूर्ति बेहद कम है। मरीजों की बढ़ती संख्या के साथ ये मांग भी बढ़ती जाएगी।
एम्फोटेरिसीन बी
क्या है दवा की आपूर्ति में कमी का कारण?
देश में भारत सीरम एंड वैक्सीन्स, BDR फार्मास्यूटिकल, सन फार्मा, सिप्ला और लाइफ केयर इनोवेशन एम्फोटेरिसीन का उत्पादन करती है। वहीं माइलन विदेश से आयात कर भारत में इसकी आपूर्ति करती है।
इन दवा उत्पादकों का कहना है कि एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट (API) और प्यूरीफाइड सिंथेटिक लिपीड की कमी के चलते इसका उत्पादन प्रभावित हो रहा है।
हालांकि, कंपनियों ने कहा है कि अगले दो महीनों में आपूर्ति सामान्य होने का अनुमान है, जिसके बाद स्थिति सुधर सकती है।