
मिजोरम में सबसे अधिक पढ़े-लिखे लोग, जानिए कैसे हासिल की पूर्ण साक्षर राज्य की उपलब्धि
क्या है खबर?
मिजोरम भारत का पूर्ण साक्षर राज्य बन गया है, जहां सबसे अधिक लोग पढ़े-लिखे हैं। यह घोषणा मंगलवार को मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने मिजोरम विश्वविद्यालय (MZU) में आयोजित एक समारोह में की थी।
इस दौरान केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी भी मौजूद थे।
वर्ष 2011 की जनगणना में मिजोरम साक्षर राज्य के पायदान पर तीसरे नंबर पर था। अब 14 साल बाद यह पहले पायदान पर पहुंच गया है।
आइए, जानते हैं मिजोरम कैसे पूर्ण साक्षर राज्य बना।
साक्षर
मिजोरम में 98.2 प्रतिशत लोग हैं साक्षर
मिजोरम की वर्तमान साक्षरता दर 98.2 प्रतिशत है, जिसने शिक्षा मंत्रालय की ओर से तय साक्षरता के मानक दर 95 प्रतिशत को पार कर लिया है।
राज्य ने यह उपलब्धि अंडरस्टैंडिंग ऑफ लाइफ लॉन्ग लर्निंग फॉर ऑल इन सोसाइटी (ULLAS), नव भारत साक्षरता कार्यक्रम (NILP) के तहत हासिल की है, जो शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है।
मिजोरम की साक्षरता दर 2001 में 88.8 प्रतिशत थी, जो 2011 में 91.33 प्रतिशत पहुंची, जो केरल-लक्षद्वीप के बाद तीसरे स्थान पर थी।
उपलब्धि
मिजोरम ने कैसे हासिल की उपलब्धि?
मिजोरम भारत के उन कुछ चुनिंदा राज्यों में शामिल है, जहां शिक्षा का प्रसार काफी तेजी से हुआ है।
2023-24 के पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) के अनुसार, राज्य में पुरुषों की साक्षरता 99.2 प्रतिशत और महिलाओं की 97 प्रतिशत है।
जब 2011 की जनगणना हुई थी, तब आंकड़ों के आधार पर सर्वेक्षण किया गया और राज्य में 3,026 निरक्षरों की पहचान की गई।
इनमें से 1,692 संभावित शिक्षार्थी थे, जिनको शिक्षित करने का कार्यक्रम चलाया गया।
योजना
इन योजनाओं से मिली सफलता
ULLAS योजना के जरिए 15 वर्ष से अधिक आयु के उन लोगों को लक्षित किया गया, जो स्कूल नहीं गए थे।
योजना का उद्देश्य आधारभूत साक्षरता, संख्यात्मकता, महत्वपूर्ण जीवन कौशल, डिजिटल साक्षरता और निरंतर शिक्षा प्रदान करना था।
इसके लिए अगस्त-सितंबर 2023 में क्लस्टर रिसोर्स सेंटर कोऑर्डिनेटर्स (CRCC) द्वारा घर-घर सर्वेक्षण किया और निरक्षरों की पहचान हुई।
निरक्षरों को पढ़ाने में 292 स्वयंसेवी शिक्षकों, छात्रों की सहायता ली गई, जिन्होंने स्कूलों, सामुदायिक हॉल, YMA पुस्तकालयों, घरों में कक्षाएं आयोजित कीं।
जानकारी
सामुदायिक भागीदारी भी मिली
मिजोरम की इस उपलब्धि में नागरिक समाज और शिक्षा को महत्व देने वाली संस्कृति ने भी साथ दिया। चर्च, NGO, और यंग मिजो एसोसिएशन (YMA) जैसे युवा संगठनों ने सरकार के साथ मिलकर काम किया। सुदूर सीमावर्ती जिलों में भी अभियान पहुंचाया गया।