सेंट्रल विस्टा मामला: क्या उपराष्ट्रपति के आवास के लिए आम आदमी से पूछा जाए?- सुप्रीम कोर्ट
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा परियोजना में चिल्ड्रन पार्क व हरित क्षेत्र का भूमि उपयोग बदलने के संबंध में दायर एक याचिका को मंगलवार को खारिज कर दिया।
इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि वहां कोई निजी बिल्डिंग तैयार नहीं की जा रही है, बल्कि उपराष्ट्रपति का आवास बनाया जा रहा है। लिहाजा चारों ओर हरियाली होना तय है।
इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि क्या अब आम आदमी से पूछना होगा कि उपराष्ट्रपति का आवास कहां बने?
प्रकरण
सामाजिक कार्यकर्ता ने दायर की थी याचिका
बता दें कि सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत बनाए जा रहे उपराष्ट्रपति भवन की जमीन को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता राजीव सूरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
इसमें उन्होंने कहा था कि परियोजना के लिए कुछ क्षेत्रों में भूमि उपयोग को सार्वजनिक मनोरंजन से आवासीय में बदल दिया गया है।
उन्होंने तर्क दिया कि उपराष्ट्रपति का नया आवास वर्तमान में सार्वजनिक मनोरंजन के लिए घोषित किए गए क्षेत्र को प्रभावित करेगा।
टिप्पणी
सेंट्रल विस्टा परियोजना को पहले ही दी जा चुकी है मंजूरी- सुप्रीम कोर्ट
याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस एएम खानविलकर ने कहा, "यहां कोई निजी बिल्डिंग नहीं बनाई जा रही है, बल्कि उपराष्ट्रपति का आवास बनाया जा रहा है। लिहाजा चारों ओर हरियाली होना तय है। योजना को पहले ही प्राधिकरण द्वारा मंजूरी दे दी गई है और आप उस प्रक्रिया में दुर्भावना का आरोप नहीं लगा रहे हैं।"
उन्होंने कहा, "हर चीज की आलोचना की जा सकती है, लेकिन रचनात्मक आलोचना होनी चाहिए।"
सवाल
"क्या अब आम आदमी से पूछे कि उपराष्ट्रपति का आवास कहां बने?"
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "आप कैसे कह सकते हैं कि एक बार मनोरंजन क्षेत्र के लिए सूचीबद्ध होने के बाद किसी भी जमीन का रूपांतरण नहीं किया जा सकता है। भले ही किसी समय इसे मनोरंजन क्षेत्र के रूप में नामित किया गया हो।"
कोर्ट ने आगे कहा, "क्या अधिकारी क्षेत्र के समग्र विकास के लिए इसे संशोधित नहीं कर सकते हैं? क्या अब हम आम आदमी से पूछना शुरू करें कि उपराष्ट्रपति का आवास कहां पर बनाया जाए?"
दलील
केंद्र सरकार ने दी हरित क्षेत्र बढ़ाने की दलील
सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने कहा, "हम समग्र विकास के हिस्से के रूप में हरित क्षेत्र बढ़ा रहे हैं। क्या यह अंकगणित की बात है कि यदि वह यहां कुछ वर्ग मीटर ले रहे हैं तो उन्हें इसकी भरपाई कहीं और करनी चाहिए।"
उन्होंने कहा, " केंद्र के हलफनामे में पहले ही कहा गया है कि वो पहले ही मुआवजे के तौर पर ज्यादा हरित क्षेत्र दे रहे हैं। अब इसे किस सिद्धांत पर चुनौती दी जा रही है?"
मांग
केंद्र सरकार ने की थी याचिका को खारिज करने की मांग
इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सेंट्रल विस्टा परियोजना के खिलाफ दायर नई याचिका को खारिज करने की मांग की थी। केंद्र ने कहा था कि याचिका को जुर्माने के साथ खारिज किया जाए।
केंद्र के हलफनामे के अनुसार, उस प्लॉट नंबर 1 का क्षेत्र वर्तमान में सरकारी कार्यालयों के रूप में उपयोग किया जा रहा है और 90 सालों से ये रक्षा भूमि है। ये कोई मनोरंजक गतिविधि (पड़ोस खेल क्षेत्र) नहीं रहा है।
पृष्ठभूमि
क्या है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट?
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक के चार किलोमीटर लंबे राजपथ को विकसित और संवारा जाएगा और यहां नए संसद भवन और केंद्रीय सचिवालय समेत कई नई इमारतों का निर्माण किया जाएगा। इसका निर्माण कार्य चल रहा है।
सुप्रीम कोर्ट भी इस परियोजना को हरी झंडी दिखा चुका है। इस परियोजना के तहत बनने वाले नए संसद भवन का निर्माण 2022 में देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ तक पूरा होने की उम्मीद है।
जानकारी
परियोजना पर खर्च होंगे 20,000 करोड़ रुपये
नए संसद भवन में 1,224 सांसदों के बैठने की क्षमता होगी। इसके अलावा सभी सांसदों के लिए अलग-अलग पेपर रहित कार्यालय भी बनाए जाएंगे। पूरी योजना में लगभग 20,000 करोड़ रुपये की लागत आएगी। परियोजना से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 11,000 लोग जुड़े हैं।