सुप्रीम कोर्ट ने 14 वर्षीय रेप पीड़िता को 30 हफ्ते के गर्भपात की अनुमति दी
सुप्रीम कोर्ट ने 14 वर्षीय एक रेप पीड़िता को गर्भपात की अनुमति दे दी है। नाबालिग पीड़िता 30 हफ्तों की गर्भवती है। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने फैसला सुनाते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला पलट दिया, जिसमें कोर्ट ने 4 अप्रैल को बच्ची को गर्भपात की मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। हाई कोर्ट के फैसले के बाद बच्ची की मां ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
CJI चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को मामले की त्वरित सुनवाई की थी और बच्ची का चिकित्सकीय परीक्षण कराने के आदेश दिए थे। सोमवार को कोर्ट ने इसी रिपोर्ट के आधार पर फैसला सुनाया। हिंदुस्तान के मुताबिक, CJI ने कहा कि ऐसे अपवाद मामलों में बच्चों की सुरक्षा करना जरूरी है और नाबालिग बच्ची के लिए हर गुजरता घंटा महत्वपूर्ण है। उन्होंने मुंबई के सियान अस्पताल से बच्ची के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर रिपोर्ट मांगी थी।
गर्भपात को लेकर क्या है नियम?
गर्भपात को लेकर भारत में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) कानून, 1971 बनाया गया है। इस कानून में 2020 में कुछ संशोधन किए गए थे और इसके तहत कुछ शर्तों के साथ अधिकतम 24 हफ्ते के भ्रूण के गर्भपात की इजाजत है। मेडिकल बोर्ड की सिफारिश, रेप पीड़िता और बाकी कई पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इस अवधि को बढ़ाया भी जा सकता है। संशोधन से पहले ये अवधि 20 हफ्ते तक थी।