CAA के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे ओवैसी, कानून लागू करने पर रोक लगाने की मांग
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने याचिका में मांग की है कि मामले की सुनवाई पूरी होने तक सरकार को किसी को भी CAA की धारा 6B के तहत नागरिकता प्रदान नहीं करनी चाहिए। ओवैसी ने कहा कि CAA को नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPC) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (NRC) के साथ ही देखा जाना चाहिए।
ओवैसी बोले- CAA के बाद लाया जाएगा NRC
ओवैसी ने इस कानून के लागू होने पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा कि CAA और NRC एक अपवित्र गठजोड़ है। CAA के बाद NRC लाया जाएगा, जिसके जरिये भारत के मुसलमानों को निशाना बनाने की योजना है। इससे पहले उन्होंने कहा था कि धर्म के आधार पर देश में कोई कानून नहीं बनाया जा सकता। यह समानता के अधिकार के खिलाफ है। आप इस्लाम धर्म के लोगों को छोड़कर बाकी सबको नागरिकता दे रहे हैं।
CAA पर क्या विवाद है?
CAA के दायरे से मुस्लिमों को बाहर रखने पर काफी विवाद है। आलोचक इसे असंवैधानिक बताते हैं क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता। केवल पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए पीड़ितों को ही नागरिकता देने पर भी सवाल उठ रहे हैं। श्रीलंका में भी तमिल हिंदुओं को यातनाओं का सामना करना पड़ा है, लेकिन वो इसमें शामिल नहीं। 2019 में इस कानून को संसद में पारित किया गया था।