कश्मीर में पाबंदियों के कारण हुआ कारोबार में 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान
रविवार को कश्मीर के एक व्यापार संगठन ने कहा कि अनुच्छेद 370 पर फैसले के बाद कश्मीर में लगाई गई पाबंदियों का घाटी की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है। संगठन के मुताबिक, 5 अगस्त को पांबदियां लगाने के बाद से अब तक लगभग तीन महीने के अंदर 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के कारोबार का नुकसान हुआ है। संगठन ने इंटरनेट पर रोक को इस घाटे का एक अहम कारण बताया है।
पूरी तरह से बंद हैं घाटी के मुख्य बाजार
बता दें कि 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 पर फैसले के बाद से ही कश्मीर में इंटरनेट और फोन सेवाओं पर पाबंदी लगी हुई है। इसके अलावा घाटी के मुख्य बाजार भी बंद हैं और सार्वजनिक परिवहन अभी तक पूरी तरह से शुरू नहीं हुआ है। श्रीनगर के प्रसिद्ध लाल चौक समेत कुछ जगहों पर कुछ दुकानें सुबह और देर शाम को थोड़े समय के लिए जरूर खुलती हैं, लेकिन मुख्य बाजार अभी भी बंद हैं।
KCCI के अध्यक्ष ने कहा, इस झटके से उभरना कठिन होगा
रविवार को कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (KCCI) के अध्यक्ष शेख आशिक ने समाचार एजेंसी PTI से बात करते हुए कहा कि घाटे की प्रकृति के बारे में अभी अंदाजा लगाना मुश्किल है क्योंकि स्थिति अभी तक सामान्य नहीं हुई है, लेकिन व्यापारिक समुदाय को ऐसा बड़ा झटका जरूर लगा है जिससे उभरता बेहद कठिन होगा। उन्होंने बताया कि कश्मीर में 10,000 करोड़ रुपये के कारोबार का नुकसान हुआ है और सभी क्षेत्र इससे प्रभावित हुए हैं।
आशिक बोले, सुस्त है कारोबार
आशिक ने आगे कहा, "करीब तीन महीने हो गए हैं लेकिन फिर भी लोग मौजूदा स्थिति की वजह से कारोबार नहीं कर रहे हैं। पिछले कुछ हफ्तों में कुछ कारोबार हुआ है, लेकिन जो फीडबैक हमें मिल रहा है उसके अनुसार कारोबार सुस्त है।"
इंटरनेट पर पाबंदी को बताया घाटे का एक अहम कारण
आशिक ने इंटरनेट पर रोक को इस घाटे का एक अहम कारण बताया। उन्होंने कहा, "आज के दौर में हर कारोबार की मूल जरूरत इंटरनेट है। हमने राज्यपाल के प्रशासन को सूचित किया है कि इससे कश्मीर में कारोबार प्रभावित होगा और अर्थव्यस्था कमजोर होगी।" IT सेक्टर का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें ऐसी कंपनियां हैं जो अमेरिका और यूरोप में सेवाएं प्रदान कर रही हैं और इंटरनेट पर रोक के कारण उनका काम प्रभावित हुआ है।
"सरकार घाटे की जिम्मेदारी लेकर तकलीफें कम करने के लिए कदम उठाए"
आशिक ने कहा कि सरकार को इस घाटे की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और व्यापारियों की तकलीफें कम करने के लिए कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा, "हम इस पल भी चिंतित हैं। इसके बारे में कौन सोचेगा? सरकार को जिम्मेदारी लेनी होगी और रास्ते निकालने होंगे।"
आशिक का दावा, रुक गया है कश्मीर का विकास
कश्मीर का विकास रुकने का दावा करते हुए आशिक ने कहा, "करीब 2000 करोड़ रुपये की विकास योजनाओं को इसलिए रोकना पड़ा क्योंकि कर्मचारी कश्मीर छोड़ कर चले गए। अब हमें उन्हें पर्यटकों की तरह आश्वस्त करना होगा और इसमें समय लगेगा।" कारोबारी नेताओं को हिरासत में लिए जाने पर उन्होंने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है और घाटी में कारोबार का राजनीतिक नहीं होना चाहिए, ये एक अलग चीज है।
आशिक बोले, बाहरी निवेश के खिलाफ नहीं कश्मीर के व्यापारी
आशिक ने इस दौरान ये भी कहा कि कश्मीर का व्यापारिक समुदाय घाटी में बाहरी निवेश के खिलाफ नहीं है और KCCI हमेशा विदेशी निवेश आमंत्रित करने के प्रयासों में सबसे आगे रहेगी। उन्होंने कहा कि हालांकि इस पर उनकी सलाह नहीं ली जाती।