लॉकडाउन: 3 मई के बाद मिलेगी बड़ी छूट, मजूदरों के लिए राज्यों ने मांगी स्पेशल ट्रेनें
केंद्र सरकार ने संकेत दिए हैं कि देश के कई इलाकों में 3 मई के बाद लॉकडाउन में बड़ी राहत दी जा सकती है। गौरतलब है कि लॉकडाउन 2.0 का अंतिम दिन 3 मई है। वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार द्वारा मजदूरों को अपने घर लौटने की इजाजत दिए जाने के बाद कई राज्यों ने स्पेशल ट्रेन चलाने की मांग की है ताकि दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को उनके घर पहुंचाया जा सके। आइये, पूरी खबर जानते हैं।
कई इलाकों में लॉकडाउन के बाद मिलेंगी बड़ी राहतें
बुधवार शाम गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्विटर पर जानकारी दी कि लॉकडाउन की स्थिति पर एक समीक्षा बैठक की गई, जिसमें पता चला है कि इससे काफी फायदा हुआ है और महामारी के संक्रमण पर काफी हद तक रोक लगी है। कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई के लिए 4 मई से नई गाइडलाइंस जारी होंगी, जिसमें कई जिलों को बड़ी छूट दी जाएगी। इस संबंध में आने वाले दिनों में विस्तृत जानकारी जारी की जाएगी।
3 मई तक कड़ाई से लॉकडाउन का पालन- प्रवक्ता
हालांकि, प्रवक्ता ने यह भी लिखा कि 3 मई तक लॉकडाउन का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए। इससे पहले केंद्र सरकार ने दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों, छात्रों और पर्यटकों को अपने घर जाने की इजाजत दी थी। गाइडलाइंस के मुताबिक फंसे हुए लोगों की आवाजाही से पहले स्क्रीनिंग की जाएगी और जिनमें महामारी के लक्षण नहीं होंगे, उन्हें ही आवाजाही की अनुमति दी जाएगी। इन लोगों को लाने-ले जाने के लिए सैनिटाइज्ड बसों का इस्तेमाल किया जाएगा।
कई राज्यों ने की स्पेशल ट्रेनों की मांग, रेलवे ने की तैयारी
केंद्र से अनुमति मिलने के बाद कई राज्यों ने मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए स्पेशल ट्रेन की मांग की है। वहीं रेलवे ने भी रोजाना 400 ऐसी ट्रेनें चलाने की योजना बनाई है, जिन्हें जरूरत पड़ने पर बढ़ाकर 1,000 किया जा सकता है। रेलवे ने इस संबंध में योजना बनाकर सरकार के शीर्ष स्तर को सूचना दे दी है। हालांकि, इस बात के कोई संकेत नहीं है कि 3 मई से पहले पैसेंजर ट्रेन सेवा बहाल होगी।
बसों के जरिये सीमित संख्या में हो सकेगी मजदूरों की आवाजाही
रेलवे की योजना की मुताबिक, हर नॉन-एसी ट्रेन में एक साथ 1,000 लोगों को ले जाया जाएगा ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो सके। वहीं एक सरकारी अधिकारी ने बताया, "हर बस सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए केवल 25 लोगों को लेकर जाएगी।" सूत्रों ने बताया कि बसों के जरिये इन लोगों की आवाजाही की इजाजत देकर सरकार हालात का अंदाजा लगाना चाहती है। वहीं ट्रेनों की बजाय बसों से कम लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाएंगे।
ट्रेनों के संचालन के बिना मजूदरों की घर वापसी संभव नहीं- राजस्थान
केंद्र सरकार के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए अशोक गहलोत ने कहा कि प्रवासी मजदूरों की लंबे समय से जारी मांग को सरकार ने मान ली है। यह स्वागत योग्य कदम है, लेकिन जब तक रेलवे का संचालन शुरू नहीं होगा तब तक मजदूरों के लिए उनके घर पहुंचना सुगम नहीं होगा। कुछ ही दिनों में राजस्थान सरकार के पास लगभग छह लाख प्रवासी मजदूरों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। उन्होंने सरकार से रेलवे के संचालन की मांग की है।
"बसों से लोगों को लाना संभव नहीं"
राजस्थान के अतिरिक्त प्रमुख सचिव राजीव स्वरूप ने कहा, "मुख्यमंत्री ने पहले भी रेल सेवा की बात कही थी और आज भी। बड़ी संख्या में राजस्थान के लोग दूसरे राज्यों में फंसे हुए हैं। बसों के जरिये उन्हें वापस लाना संभव नहीं होगा।"
इन राज्यों ने की स्पेशल ट्रेनों की मांग
इसी तरह झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि उन्होंने रेल मंत्री पीयूष गोयल से कहा है कि राज्य सरकार को अपने छात्रों और मजदूरों को वापस लाने के लिए स्पेशन ट्रेन की जरूरत होगी। राज्य सरकार का अनुमान है कि झारखंड के लगभग 9 लाख लोग दूसरे राज्यों में फंसे हुए हैं, जिनमें से 6.43 लाख प्रवासी मजदूर हैं। इससे पहले महाराष्ट्र और केरल के मुख्यमंत्री भी सरकार से स्पेशल ट्रेन चलाने की मांग कर चुके हैं।