#NewsBytesExplainer: मुंबई में कैसे दिल्ली जैसा वायु प्रदूषण हुआ?
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में दिल्ली जैसे हालात बन रहे हैं और यहां लगातार वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। यहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 300 के पार तक पहुंच गया, जो बहुत खराब श्रेणी में आता है। आज हम आपको बताएंगे कि अपने तटीय स्थान के कारण वायु प्रदूषण और धुंध जैसी समस्याओं से सुरक्षित माने जाने वाले मुंबई शहर में आखिर कैसे दिल्ली जैसे हालात बन गए।
मुंबई में प्रदूषण किन कारणों से बढ़ रहा है?
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, IIT कानपुर के प्रोफेसर और वायु प्रदूषण पर भारत के अग्रणी विशेषज्ञों में से एक एस एन त्रिपाठी ने बताया, "मुंबई में बढ़ते प्रदूषण का कारण बहुत अधिक आर्थिक गतिविधियां, यातायात भीड़, अधिक निर्माण, अधिक खपत और अधिक उत्सर्जन है। यहां प्रदूषण को कम करने के लिए कोई समान प्रयास नजर नहीं आता।" उद्योग, बिजली क्षेत्र और कूड़ा जलाना भी मुंबई और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के कारण हैं।
वाहनों का प्रदूषण में कितना योगदान?
मुंबई में वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण निर्माण कार्य में लगे वाहनों से धूल के कणों का उड़ना और वाहनों से निकले वाला धुआं है। सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) के 2019-2020 के एक अध्ययन में सामने आया था कि मुंबई में वायु प्रदूषण में परिवहन क्षेत्र का योगदान पिछले 5 वर्षों में लगभग दोगुना हो गया है। तब शहर के कुल प्रदूषक PM2.5 कणों में वाहनों का योगदान 30.5 प्रतिशत था।
निर्माण गतिविधियां भी वायु प्रदूषण का अहम कारण
बड़ी संख्या में हो रहे निर्माण से जुड़ी गतिविधियां भी मुंबई में वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण हैं। बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) द्वारा करवाए जा रहे निर्माण कार्यों में पिछले कुछ वर्षों में वृद्धि देखने को मिली है। इन निर्माणों का असर शहर पर छाई जहरीली धुंध के रूप में देखा जा सकता है। मुंबई में रिफाइनरियां, बिजली संयंत्र और रासायनिक संयंत्र भी हैं, जिनमें होने वाले कार्य वायु प्रदूषण का कारण बनते हैं।
समुद्री हवाएं प्रदूषण से क्यों नहीं बचा पा रहीं?
हवाएं आमतौर पर समुद्र से जमीन की ओर चलने और जमीन से समुद्र की ओर चलने के बीच हर 3-4 दिनों में बदलती रहती हैं और प्रदूषक कणों को अपने साथ उड़ा ले जाती हैं। हालांकि, अब ये बदलाव 8-10 दिनों में हो रहा है। वैज्ञानिक गुफरान बेग ने इसके पीछे का कारण पूर्वी प्रशांत महासागर में 'ला नीना' को बताया है। इस कारण हवा की गति इतनी तेज नहीं है कि ये प्रदूषकों को प्रभावी ढंग से उड़ा सके।
प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
मुंबई में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए BMC अधिकारियों ने 50 से 60 प्रमुख सड़कों पर एंटी-स्मॉग गन चलाने का निर्णय लिया है। अलग-अलग जगहों पर एंटी-स्मॉग गन और पानी के छिड़काव से धूल-मिट्टी को कम करने का प्रयास किया जाएगा। इसके अलावा BMC आयुक्त इकबाल सिंह चहल ने निर्देश दिया है कि निर्माण मलबे का परिवहन करने वाले वाहन ठीक से ढके होने चाहिए और उनमें निर्धारित भार से अधिक भार नहीं होना चाहिए।
न्यूजबाइट्स प्लस
अल नीनो के विपरीत प्रभाव को ला नीना कहा जाता है। इसमें पूर्व से बहने वाली हवाएं तेज गति से चलने लगती हैं, जिस वजह से समुद्री सतह का तापमान कम हो जाता है। इससे एशिया की तरफ गर्म पानी पहुंचने लगता है और अमेरिका के पश्चिमी तट पर ठंडा पानी बहने लगता है। आमतौर पर इसके कारण भारत में बारिश ज्यादा होती है और सामान्य से अधिक सर्दी पड़ती है।