दिल्ली में छाने वाली है प्रदूषण की धुंध, पंजाब में कम नहीं हो रहा पराली जलाना
क्या है खबर?
पंजाब में पराली जलाने के मामले कम नहीं हो रहे हैं और इसके कारण देश की राजधानी दिल्ली में अगले तीन दिन में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ सकता है।
अभी शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 200-250 के बीच बना हुआ है, लेकिन पुणे स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मीटिओरोलॉजी (IITM) के अनुसार, 22 अक्टूबर को ये 300 का आंकड़ा पार करके बेहद खराब श्रेणी में पहुंच जाएगा।
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
बयान
उचित कदम उठाने में नाकाम रही पंजाब सरकार- पर्यावरण मंत्री
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के अनुसार, पंजाब सरकार किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए उचित कदम उठाने में नाकाम रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को इससे निपटने के लिए फसल अवशेष प्रबंधन (CRM) के तहत पर्याप्त मशीनरी और फंड प्रदान किया गया था, लेकिन योजना को लागू करने में कोई प्रगति नहीं देखी गई।
पंजाब और हरियाणा दोनों में CRM मशीनरी की देर से डिलीवरी को इसका एक प्रमुख कारण माना जा रहा है।
प्रदूषण का केंद्र
13 जिलों की हुई हॉटस्पॉट की तरह पहचान
अधिकारियों के अनुसार, 13 ऐसे जिलों की पहचान की गई है जिनका पराली जलाने की घटनाओं में सबसे अधिक योगदान है। इनमें से नौ जिले पंजाब के और चार जिले हरियाणा के हैं।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान का गृह जिला संगरूर, मोगा, तरन तारन, अमृतसर और फतेहाबाद इन जिलों में शामिल हैं।
हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में 55 प्रतिशत कमी हुई है और पंजाब से भी यही लक्ष्य हासिल करने को कहा गया है।
कार्रवाई
प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली में लागू किया गया GRAP का दूसरा चरण
वायु प्रदूषण में वृद्धि से निपटने के लिए दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) का दूसरा चरण लागू कर दिया गया है।
इसके तहत अब हॉटस्पॉट, भारी ट्रैफिक और अधिक जोखिम वाले इलाकों में सड़कों की रोजाना वैक्यूम क्लीनिंग की जाएगी। इसके साथ ही सड़कों पर पानी और धूल को दबाने वाले पदार्थों का छिड़काव किया जाएगा।
कंस्ट्रक्शन साइट्स पर एंटी-स्मॉग गन इस्तेमाल करनी होगी, वहीं होटल और रेस्टोरेंट्स आदि में कोयला जलाने पर पाबंदी होगी।
वायु प्रदूषण
दिवाली के आसपास दिल्ली में बेहद खराब हो जाती है हवा की स्थिति
बता दें कि पड़ोसी राज्यों में पराली जलाए जाने और दिवाली पर पटाखों के इस्तेमाल से हर साल दिल्ली में अक्टूबर-नवंबर में वायु प्रदूषण की स्थिति बेहद खराब हो जाती है और शहर की हवा इतनी जहरीली हो जाती है कि ये सांस लेने लायक नहीं रहती।
सर्द मौसम के कारण PM2.5 जैसे हानिकारक प्रदूषक कण भी हवा में जम जाते हैं और शहर के ऊपर कोहरे जैसी धुंध छा जाती है।
कदम
प्रदूषण से निपटने के लिए पटाखों पर प्रतिबंध, 15 सूत्रीय योजना का ऐलान
दिल्ली और केंद्र की सरकारें हर साल राजधानी में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने का वादा करती हैं, लेकिन हर साल दिवाली के आसपास स्थिति खराब हो जाती है।
इस साल भी दिल्ली सरकार ने पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है और आदेश का उल्लंघन करने पर आर्थिक जुर्माने और तीन साल की जेल का प्रावधान किया गया है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रदूषण से लड़ने के लिए 15 सूत्रीय योजना का भी ऐलान किया है।
दिल्ली में प्रदूषण
न्यूजबाइट्स प्लस
अगस्त में जारी की गई स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर के हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (HEI) की रिपोर्ट में दिल्ली को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बताया गया था।
प्रदूषण के कारण मौतों की सूची में भी वह छठवें स्थान पर रहा और यहां प्रति लाख आबादी पर 106 मौतें हुईं। 2019 में दिल्ली में प्रदूषण के कारण कुल 29,900 मौतें हुईं।
इससे पहले IQAir की रिपोर्ट में दिल्ली को दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी घोषित किया गया था।