बम धमाकों के बाद श्रीलंका के राष्ट्रपति सिरीसेना ने लगाया मुंह ढकने पर प्रतिबंध
देश के कई चर्चों और होटलों पर आतंकवादी हमले के बाद श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना ने देशभर में मुंह ढकने पर पाबंदी लगा दी है। ऐसा राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए से किया गया है, ताकि लोगों की पहचान आसान हो सके। बता दें कि 21 अप्रैल को ईस्टर रविवार के दिन जिहादी संगठन नेशनल तौहीद जमात (NTJ) के आतंकियों ने राजधानी कोलंबो और अन्य इलाकों में 8 बम धमाके किए थे, जिसमें 250 से अधिक लोग मारे गए थे।
राष्ट्रपति ने किया आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग
प्रतिबंध लगाते हुए राष्ट्रपति सिरीसेना ने कहा कि वह अपनी आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल सार्वजनिक स्थल पर किसी भी तरीके से मुंह ढकने पर प्रतिबंध लगाने के लिए कर रहे है। प्रतिबंध पर बयान जारी करते हुए उन्होंने कहा, "प्रतिबंध राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए लगाया गया है। किसी को भी अपना मुंह ढकने की जरूरत नहीं है क्योंकि इससे पहचान मुश्किल होती है।" प्रतिबंध सोमवार से लागू होगा।
हो रही थी बुर्के पर प्रतिबंध की मांग
इससे पहले स्थानीय मुस्लिम मौलवियों ने समुदाय की महिलाओं से अपना चेहरा न ढकने का निवेदन किया था। देश की संसद में भी बुर्के पर प्रतिबंध लगाने की मांग उठी थी और निजी बिल पेश किया गया था। हालांकि राष्ट्रपति ने बुर्के पर प्रतिबंध लगाने की बजाय किसी भी तरीके से चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया, ताकि इसे लेकर कोई भी सांप्रदायिक संदेश न जाए और देश में धार्मिक सद्भाव बना रहे।
श्रीलंका में कुल 10 प्रतिशत मुस्लिम
बता दें कि श्रीलंका की कुल जनसंख्या में 10 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। ज्यादातर मुस्लिम अपने धर्म का उदार रूप का पालन करते हैं और बेहद कम संख्या में महिलाएं पूरे चेहरे को ढकने वाला नकाब पहनती हैं।
दूसरे धर्मों के खिलाफ हिंसा की बात करता था NTJ का मुखिया
21 अप्रैल को हुए बम धमाकों को जिहादी संगठन NTJ के आतंकियों ने अंजाम दिया था और वह आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (IS) से प्रेरित था। IS ने भी अपनी समाचार एजेंसी अमाक के जरिए हमलों की जिम्मेदारी ली थी। NTJ प्रमुख जहरान हाशिम इस्लाम की कट्टर विचारधारा पर विश्वास करता था और दूसरे धर्मों और देश के खिलाफ हिंसा की बात करता था। धमाके करने वाले 9 आत्मघाती हमलावरों में वह भी शामिल था।