नए SC/ST एक्ट पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, 19 फरवरी को अगली सुनवाई
2018 में संशोधित किए गए SC/ST कानून पर रोक लगाने से सर्वोच्च अदालत ने इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 19 फरवरी को होगी। मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मार्च 2018 के फैसले के बाद इस कानून में संशोधन किया गया है। नए कानून को लेकर केंद्र सरकार ने भी पुर्नविचार याचिका दाखिल की है। ऐसे में पीठ पुरे मामले की विस्तृत सुनवाई के बाद सभी मामलों की एक साथ सुनवाई करेगी।
जज यूयू ललित ने दी अगली तारीख
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को साफ कर दिया कि SC/ST अत्याचार निवारण कानून 2018 में फिलहाल रोक नहीं है। जिसका मतलब है कि मामले में अग्रिम जमानत न होने का प्रावधान बरकरार रहेगा। बुधवार की सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ताओं में से एक वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने नए कानून पर तत्काल रोक लगाने की मांग की। न्यायमूर्ति ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि उचित होगा कि 19 फरवरी को मामले से संबंधित सभी याचिकाओं पर सुनवाई की जाए।
नए कानून से जुड़ी सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर रहा है सुप्रीम कोर्ट
SC/ST के नए कानून में बदलाव से जुड़ी सभी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट एक साथ सुनवाई कर रहा है। इन याचिकाओं पर जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की बेंच सुनवाई कर रही है।
जानिए पिछली सुनवाई पर क्या हुआ था
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर 25 जनवरी को सुनवाई की थी। 25 जनवरी को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति ए के सीकरी, एस अब्दुल नज़ीर और एम आर शाह की पीठ ने SC/ST अधिनियम में संशोधन पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था और कहा था कि मामले से जुड़ी सभी याचिकाओं को एक साथ सुना जाए। इसके बाद जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की बेंच ने सभी मामलो को एक साथ सुनने का फैसला किया।
जानिए कैसे शुरू हुआ पूरा मामला
20 मार्च, 2018 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पूरे प्रकरण की शुरुआत हुई, जिसमें शीर्ष अदालत ने निर्दोष लोगों को गिरफ्तारी से रोकने के लिए ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। SC/ST के नए कानून के तहत SC/ST के खिलाफ जातिसूचक टिप्पणी या कोई अन्य शिकायत पर तुरंत मुकदमा दर्ज नहीं कराया जाएगा और न हीं तुरंत गिरफ्तारी होगी। हालांकि, दलित संगठनों ने इसके खिलाफ पूरे देश में हिंसक विरोध प्रदर्शन किए थे, जिसमें 7 लोगों की मौत हुई थी।
पिछले साल अगस्त में संसद में किया गया संशोधन
मार्च, 2018 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 9 अगस्त को संसद ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन अधिनियम, 2018 पारित किया। संशोधन में अग्रिम जमानत के सभी प्रावधानों को हटा दिया गया। इस संशोधन के खिलाफ उच्च जातियों के लोगों ने राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में विरोध प्रदर्शन किए। आपको बता दें कि दलितों पर अत्याचार रोकने और छुआछूत को खत्म करने के लिए SC/ST कानून लाया गया था।