#NewsBytesExplainer: राजस्थान में डॉक्टर हड़ताल क्यों कर रहे हैं और 'स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक' क्या है?
राजस्थान विधानसभा में पिछले दिनों 'स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक' पारित किया गया था, जिसे अब सरकार कानूनी रूप देने की तैयारी कर रही है। इस विधेयक के विरोध में राज्य के करीब 14,000 डॉक्टर्स ने बुधवार को पूर्ण कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी है, जिसका स्वास्थ्य सेवाएं ठप पड़ सकती हैं। इसके अलावा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) आज देशभर में 'काला दिवस' मना रहा है। आखिर इस विधेयक का विरोध क्यों हो रहा है, आइए विस्तार से जानते हैं।
क्या है स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक?
राजस्थान की कांग्रेस सरकार लोगों को स्वास्थ्य संबंधी कई सुविधाएं प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक लेकर आई है। इसमें निजी अस्पतालों को आपातकालीन स्थिति में बिना किसी भुगतान के भी इलाज के लिए बाध्य किया गया है। विधेयक के खिलाफ ऑल राजस्थान इन सर्विस डॉक्टर्स एसोसिएशन (ARISDA) से जुड़े डॉक्टर पिछले 8 दिनों से रोजाना 2 घंटे का कार्य बहिष्कार कर रहे हैं। राजस्थान देश का पहला राज्य है, जहां इस तरह का विधेयक लाया गया है।
विधेयक का उल्लंघन करने पर क्या होगा?
स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक के उल्लंघन पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसका उल्लंघन करने और आपातकालीन स्थिति में मरीज का इलाज करने से मना करने पर 10,000 से 25,000 रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान रखा गया है। इसके अलावा विधेयक से जुड़ी शिकायतें सुनने और अपील के लिए जिला स्तर पर जिला स्वास्थ्य प्राधिकरण और राज्य स्तर पर राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण बनेगा और इन प्राधिकरणों में मरीजों की शिकायतें सुनी जाएंगी।
डॉक्टर्स को विधेयक से क्या परेशानी है?
डॉक्टर्स का कहना है कि इस विधेयक में आपातकाल में निजी अस्पतालों को निशुल्क इलाज करने के लिए बाध्य किया गया है, लेकिन आपातकाल की परिभाषा और इसके दायरे को विधेयक में तय नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि अगर हर मरीज अपनी बीमारी को आपातकाल में बताकर निशुल्क इलाज करवाएगा तो अस्पताल अपना खर्चा कैसे चलाएंगे। इसके अलावा मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए अन्य अस्पताल में उसे रेफर करने की व्यवस्था भी अस्पताल को ही करनी होगी।
डॉक्टर्स ने पूछा- मरीजों के इलाज के लिए कौन करेगा भुगतान?
डॉक्टर्स का कहना है कि मरीजों के इलाज का भुगतान कौन करेगा और सरकार इलाज का खर्च वहन करेगी तो इसके लिए क्या प्रावधान हैं, यह भी स्पष्ट नहीं किया गया है। उनका आरोप है कि सरकार जनता की वाहवाही लूटने के लिए अपनी योजना निजी अस्पतालों पर थोप रही है। सरकार मरीजों को मुफ्त सेवाएं देने चाहती है तो वह सरकारी अस्पतालों में यह योजना लागू कर सकती है। इसके लिए निजी अस्पतालों को बाध्य नहीं किया जाना चाहिए।
डॉक्टर कब से विधेयक का विरोध कर रहे हैं?
इस विवादित विधेयक के खिलाफ डॉक्टर 21 मार्च से विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। आज बड़ी संख्या में डॉक्टर्स ने जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के बाहर पैदल मार्च निकाला। IMA ने भी आज इस विधेयक के विरोध में देशव्यापी बंद का आह्वान किया है। रविवार को डॉक्टर्स के एक प्रतिनिधि मंडल ने मुख्य सचिव उषा शर्मा के साथ बैठक की थी, लेकिन यह बैठक भी बेनतीजा रही।
डॉक्टर्स की हड़ताल का क्या असर पड़ रहा है?
एक हफ्ते से चल रही डॉक्टर्स की हड़ताल का जयपुर समेत अन्य शहरों में स्वास्थ्य सेवाओं पर बुरा असर पड़ा है और मरीजों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कई जगहों पर अस्पताल आपातकालीन सेवाओं में भी मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे और कई बड़ी सर्जरी रुकी पड़ी हैं। OPD में आने वाले मरीजों की संख्या भी सामान्य के मुकाबले कम हो गई है। मरीज सरकारी अस्पताल भाग रहे हैं, जिन पर बोझ बढ़ गया है।
प्रदर्शन के बीच सरकार क्या कर रही है?
राजस्थान सरकार ने विधेयक के खिलाफ डॉक्टर्स के विरोध को देखते हुए उनसे वार्ता करने की कोशिश की थी, लेकिन डॉक्टर्स सरकार से किसी बातचीत के लिए तैयार नहीं हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कार्य बहिष्कार पर गए डॉक्टर्स से काम पर वापस लौटने की अपील की है। ARISDA से जुड़े डॉक्टर्स का कहना है कि जब तक सरकार इस विधेयक को वापस नहीं लेती, उनका कार्य बहिष्कार और विरोध जारी रहेगा।
सरकार का विधेयक पर क्या कहना है?
राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री प्रसादी लाल मीणा ने कहा कि प्रदेशवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है और इसलिए स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक लाया गया है। इसमें राज्य और जिला स्तर पर निजी अस्पतालों के महंगे इलाज और मरीजों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक प्राधिकरण का गठन भी प्रस्तावित है। उन्होंने कहा कि आपातकाल में इलाज का खर्च संबंधित मरीज द्वारा वहन नहीं करने की स्थिति में इसका भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा।