रडार तस्वीरों से खुलासा, एयर स्ट्राइक में जैश की कई इमारतें तबाह, चश्मदीदों ने देखी लाशें
भारतीय वायुसेना (IAF) की 26 फरवरी को बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ठिकानों पर की गई एयर स्ट्राइक में कितना नुकसान हुआ, इस पर विवाद चल रहा है। पाकिस्तान का कहना है कि हमले में कोई नुकसान नहीं हुआ, बल्कि बस कुछ पेड़ गिरे। वहीं भारत का कहना है कि जैश के ठिकानों को बर्बाद करने में वह सफल रहा। अब खबर आ रही हैं कि IAF जैश की 4 इमारतों को सफलतापूर्वक निशाना बनाने में कामयाब रही।
जैश के मदरसे में थी चारों इमारतें
अंग्रेजी अखबार 'इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, रडार से ली गई तस्वीरों से सामने आया है कि IAF जैश की 4 इमारतों को निशाना बनाने में सफल रही। ये चारों इमारतें जैश द्वारा चलाए जा रहे मदरसे तालीम-उल-कुरान के कैंपस में थीं। तकनीक की सीमाओं और जमीन से खुफिया जानकारी की कमी के कारण यह बताना मुश्किल है कि हमले में कितने आतंकी मरे, यानि 300 आतंकियों का आंकड़ा एक अनुमान है।
हमले में इस्तेमाल हुए इजरायली बम
रिपोर्ट के अनुसार, भारत की खुफिया एजेंसियों के पास सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) से ली गई तस्वीरे हैं जो साबित करती हैं कि जिन 4 इमारतों को लक्ष्य बनाया गया था, IAF उन्हें निशाना बनाने में सफल रही। ये चारों इमारतें जैश द्वारा चलाए जाने वाले मदरसे में स्थित थी। इमारतों पर हमला करने के लिए IAF ने अपने इजरायली S-2000 PGM बमों का इस्तेमाल किया। इनका लक्ष्य इमारतों को उड़ाने का नहीं, बल्कि उनमें घुसकर नुकसान पहुंचाने का था।
बेहद खास है S-2000 PGM बम
S-2000 PGM एक अत्यधिक सटीक और जैमर-प्रूफ बम है जो भारी बादलों के बीच भी अच्छे से काम करता है। यह पहले छत के रास्ते इमारत में घुसता है और फिर कुछ समय के बाद फटता है। इसके सॉफ्टेयर को छत के प्रकार, उसकी मोटाई और निर्माण की सामग्री के हिसाब से प्रोग्राम किया जाता है और उसके बाद बम को कितनी देर बाद फटना है, इसका समय सेट किया जाता है। यह केवल कंट्रोल सेंटर को बर्बाद करता है।
जमीनी जानकारी हासिल करना मुश्किल
रिपोर्ट के अनुसार, रडार से प्राप्त हुई तस्वीरों में हमले के बाद पहले दिन से इमारतों की छत गायब हैं। दो दिन बाद इनकी मरम्मत कर दी गई, जिसके बात तकनीकी तौर पर नुकसान का पता लगाना मुश्किल हो गया। मदरसे को पाकिस्तानी सेना ने घेरा हुआ है और किसी के आने-जाने पर कड़ा नियंत्रण लगाया हुआ है। इस कारण से जमीन से यह खुफिया जानकारी हासिल करना कि कितने आतंकी मारे गए, मुश्किल है।
चश्मदीदों ने देखी आतंकियों की लाशें- अन्य रिपोर्ट
'फर्स्ट पोस्ट' ने कुछ चश्मदीद गवाहों के आधार पर 35 आतंकियों के मरने की रिपोर्ट छापी है। गवाहों ने हमले के बाद पाकिस्तानी सेना को लाशों को एंबुलेंस के जरिए बाहर ले जाते हुए देखा था। मरने वालों में पूर्व ISI एजेंट्स भी शामिल हैं।
खराब मौसम की वजह से नहीं ली जा सकीं सैटेलाइट तस्वीरें
सूत्रों ने अखबार को बताया कि यह राजनीतिक नेतृत्व के ऊपर है कि वह तस्वीरों को सार्जवजनिक करना चाहती है या नहीं। अधिकारी ने कहा, "SAR तस्वीरें सैटेलाइट तस्वीरों जितनी साफ नहीं हैं।" उन्होंने बताया कि भारी बादलों के कारण मंगलवार को अच्छी सैटेलाइट तस्वीरें नहीं ली जा सकीं, जो इस बहस को समाप्त कर सकती थीं। बता दें कि पाकिस्तान ने हमले की जगह पर आतंकी कैंप और किसी नुकसान के होने से इनकार करता रहा है।
पत्रकारों को जो जगह दिखा रहा पाकिस्तान, वहां भारत का कोई बम नहीं गिरा
पाकिस्तानी सेना कुछ पत्रकारों को जाबा स्थित पहाड़ी पर भी ले गई थी, जहां उनके अनुसार IAF के बम गिरे। भारतीय अधिकारी ने पाकिस्तान के जाबा में बम गिरने के दावे को खारिज किया। उन्होंने कहा, "हमला S-2000 PGM से हुआ था, इसमें पेड़ गिरने और गड्ढा होने की कोई संभावना नहीं है। अगर जाबा में बम गिरता तो यह पहले धरती के अंदर जाता और फिर फटता। इससे गड्ढा नहीं होता बल्कि मिट्टी का टीला बन जाता।"