मुंबई: घर वापस भेजे जाने की मांग लेकर जमा हुए सैकड़ों प्रवासी मजदूर, पुलिस का लाठीचार्ज
लॉकडाउन का उल्लंघन करते हुए मुंबई के बांद्रा में आज सैकड़ों प्रवासी मजदूर एक साथ जमा हो गए और प्रशासन से उन्हें उनके मूल स्थान पर वापस भेजने की मांग की। मुंबई पुलिस ने कुछ मजदूरों पर लाठीचार्ज कर उन्हें तितर-बितर करने की कोशिश की। बाद में पुलिस और स्थानीय नेताओं ने मजदूरों को समझा-बुझाकर वापस भेज दिया। पुलिस जांच कर पता लगा रही है कि इतने मजदूर एक साथ कैसे जमा हो गए।
लॉकडाउन के बीच जमा हुए सैकड़ों मजदूर
उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं ज्यादातर मजदूर
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, दोपहर में बांद्रा रेलवे स्टेशन के पास स्थित बस डिपो पर लगभग 1,000 दैनिक मजदूर जमा हो गए और तीन बजे के आसपास वे सड़क पर उतर आए। ये मजदूर पास में ही स्थित पटेल नगरी की झुग्गी बस्ती में रहते हैं और वे अपने घर वापस भेजे जाने के लिए बसों का बंदोबस्त करने की मांग कर रहे थे। इनमें से ज्यादातर मजदूर उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से आते हैं।
पुलिस ने किया मजदूरों पर लाठीचार्ज
कोरोना वायरस का केंद्र बना हुआ है महाराष्ट्र और मुंबई
महाराष्ट्र में कोरोना वायरस बेहद तेजी से फैल रहा है और यहां अब तक 2,337 मामले सामने आ चुके हैं, वहीं 160 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। मुंबई कोरोना का हॉटस्पॉट बना हुआ है और यहां संक्रमण के लगभग 1,700 मामले सामने आ चुके हैं। शहर में 100 से अधिक लोगों की मौत हुई है। कई विशेषज्ञों ने मुंबई में कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू होने का अंदेशा जताया है और इसलिए ये प्रदर्शन किसी खतरे से खाली नहीं था।
आदित्य ठाकरे ने ठहराया केंद्र सरकार को जिम्मेदार
शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने घटना के लिए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'बांद्रा में मौजूदा स्थिति, जिसे अब तितर-बितर कर दिया गया है, और सूरत में दंगे केंद्र सरकार के प्रवासी मजदूरों को वापस भेजे जाने पर कोई फैसला नहीं ले पाने का नतीजा हैं। वे खाना और शरण नहीं चाहते, वे घर जाना चाहते हैं।' बता दें कि आदित्य खुद महाराष्ट्र सरकार में मंत्री हैं।
महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री बोले- लॉकडाउन बढ़ने के कारण चिंतित हैं मजदूर
वहीं महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री असलम शेख ने कहा कि मुंबई में प्रवासी मजदूरों के लिए खाने की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा, "खाने का कोई सवाल नहीं है। खाना और राशन उन्हें प्रदान किया जा रहा है। पहले गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें आश्वासन दिया था कि लॉकडाउन खत्म होने पर उन्हें उनके घर वापस भेजने की व्यवस्था की जाएगी। लेकिन अब लॉकडाउन बढ़ गया है और इसलिए मजदूर चिंतित हैंं।"
प्रधानमंत्री मोदी ने आज ही बढ़ाया है लॉकडाउन
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ही लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाने का ऐलान किया है और इसके कारण प्रवासी मजदूरों में चिंता देखी जा रही है। इससे पहले 21 दिन के लॉकडाउन के पहले चरण में भी ऐसी स्थिति देखी गई थी और शुरूआती दिनों में लाखों प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने घरों की तरफ निकल गए थे। तब बांद्रा की तरह दिल्ली के आनंद विहार में लगभग 20,000 मजदूर इकट्ठा हो गए थे।
लॉकडाउन से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं दैनिक मजदूर
गौरतलब है कि दैनिक और प्रवासी मजदूर लॉकडाउन के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। रोजाना कमाकर खाने वाले इन लोगों के पास लॉकडाउन के बीच कोई काम नहीं है और सरकार द्वारा उन्हें प्रदान की जाने वाली राहतों में भी दिक्कतें आ रही हैं। खाने के लिए लोगों को घंटों लाइनों में इंतजार करना पड़ता है। इन्हीं चिंताओं के कारण लाखों मजदूर पैदल ही अपने घरों की तरफ निकल गए थे। इन्हें अब कैंपों में रखा जा रहा है।