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    लॉकडाउन की पालना के लिए पुलिस की पिटाई से हुई 12 लोगों की मौत- रिपोर्ट

    लॉकडाउन की पालना के लिए पुलिस की पिटाई से हुई 12 लोगों की मौत- रिपोर्ट

    लेखन भारत शर्मा
    May 26, 2020
    07:50 pm

    क्या है खबर?

    देश में कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के नियमों की पालना कराने के दौरान पुलिस द्वारा की गई पिटाई से देश में करीब 12 लोगों की मौत हुई है।

    एक गैर सरकारी संगठन की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है।

    संगठन के अनुसार लॉकडाउन के दौरान नियमों का उल्लंघन करने पर पुलिस ने कई बार लोगों पर बल प्रयोग किया था। इसके चलते कुल 12 लोगों की मौत हो गई।

    खुलासा

    12 में से तीन लोगों ने अपमानित महसूस कर की आत्महत्या

    गैर सरकारी संगठन (NGO) कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (CHRI) के अध्ययन के अनुसार HT में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में 25 मार्च को लागू किए गए लॉकडाउन के बाद से 30 अप्रैल तक विभिन्न राज्यों की पुलिस ने नियमों का उल्लंघन करने वालों पर बल प्रयोग किया था।

    पुलिस की पिटाई से कुल 12 लोगों की मौत हुई है। इनमें से तीन लोगों ने सार्वजनिक रूप से पिटाई होने से दुखी होकर आत्महत्या की थी।

    आंकड़े

    किस राज्य में हुई कितनी मौतें?

    CHRI के अध्ययन में बताया गया है कि पुलिस की पिटाई से उत्तर प्रदेश निवासी लवकुश, मोहम्मद रिजवान और रोशन लाल की मौत हुई है।

    इसी तरह मध्य प्रदेश में बंशी कुशवाह, टिबू मेदा, आंध्र प्रदेश में शेख मोहम्मद गोहिर, वीरभद्रैया, पेद्दादा श्रीनिवास राव, महाराष्ट्र में सगीर जमीन खान, तमिलनाडु में अब्दुल रहीम, बंगाल में लाल स्वामी और पंजाब में भूपिंदर की मौत हुई है।

    इनमें से भूपिंदर सिंह, श्रीनिवास राव और रोशन लाल ने व्यथित होकर आत्महत्या की थी।

    बयान

    सभी मामलों की होनी चाहिए निष्पक्ष जांच

    CHRI के कार्यक्रम प्रमुख (पुलिस सुधार) देविका प्रसाद ने कहा, "लॉकडाउन में पुलिस पिटाई से इन लोगों की मौत हुई है और मीडिया ने भी इसे कवर किया है। ऐसे में लोगों को न्याय दिलाने के लिए इन मामलों की निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए।"

    कार्रवाई

    दो घटनाओं में दोषी पुलिसकर्मियों को किया है निलंबित

    CHRI की रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में बंशी कुशवाह और आंध्र प्रदेश में हुई शेख मोहम्मद की मौत के मामले में पुलिस अधिकारियों ने दोषीयों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया है और उनके खिलाफ अदालती जांच के भी आदेश दिए हैं।

    इसी तरह लाल स्वामी (पश्चिम बंगाल), मोहम्मद रिजवान (उत्तर प्रदेश), जमील खान (महाराष्ट्र) और टिबू मेदा (मध्य प्रदेश) की मौत के मामले में अधिकारियों ने पुलिस पिटाई से उनकी मौत होना नहीं माना है।

    दावा

    पुलिस ने मौत के पीछे बताए ये कारण

    CHRI की रिपोर्ट के अनुसार लाल स्वामी की मौत के संबंध में पश्चिम बंगाल पुलिस ने उसकी मौत कार्डियक अरेस्ट से होने का दावा किया है।

    हावड़ा के पुलिस आयुक्त कुणाल अग्रवाल ने मीडिया पर मामले को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया है।

    इसी तरह उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर पुलिस अधीक्षक आलोक प्रियदर्शी ने भी मोहम्मद रिज़वान की मौत को पुलिस पिटाई से होना नहीं माना है। पुलिस का कहना कि पुलिस ने केवल डंडा मारा था।

    जानकारी

    पुलिस पिटाई से मौत नहीं होने पर भी दिया मुआवजा

    मध्य प्रदेश में टिबू मेदा की मौत के मामले में जिला कलक्टर ने उसकी मौत कार्डियक अरेस्ट से होना बताया है। इसके बाद भी राज्य सरकार की ओर मेदा के परिवार वालों को 20,000 रुपये की आर्थिक सहयता दी है। यह संशय पैदा करता है।

    हिरासत

    पुलिस हिरासत में हुई तीन लोगों की मौत

    CHRI की रिपोर्ट के अनुसार 12 लोगों की पुलिस पिटाई में मौत होने के अलावा तीन लोगों की पुलिस हिरासत में भी मौत हुई है।

    रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र पुलिस ने नियमों के उल्लंघन में तीन लोगों को हिरासत में लिया था। इसके बाद उनकी मौत हो गई।

    इसको लेकर CHRI ने पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़े किए हैं। वह मामलों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार में जुटी है।

    याचिका

    मानवाधिकार आयोग को भेजी है याचिका

    लॉकडाउन में पुलिस कार्रवाई के दौरान हुई 15 लोगों की मौत को लेकर CHRI ने सभी घटनाओं की जांच के लिए मानवाधिकारी आयोग में एक याचिका भेजी है।

    इसमें कहा गया है कि राज्यों के शासन में पुलिस नियमों की पालना के लिए मानवीय और चिकित्सा आवश्यकताओं को भूलकर काम में लगी हुई है।

    पुलिस लोगों की मूल समस्याओं पर गौर किए बिना उन पर बल प्रयोग कर रही है। ऐसे में इन मामलों की जांच की जानी चाहिए।

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