जिस कफ सिरप को पीने से हुई थी 11 मौतें, बिक चुकी हैं उसकी 3,400 बोतलें
जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले के रामनगर में जहरीले कफ सिरप 'कोल्डेस्ट-पीसी' के पीने से दिसंबर से जनवरी के बीच हुई 11 बच्चों की मौत के मामले अब नया खुलासा हुआ है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से संदिग्ध बैच की सभी 5,500 बोतलें वापस मंगवाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन अब सामने आया है कि इनमें से करीब 3,400 बोतल लोगों तक पहुंच चुकी हैं। ऐसे में अब मौत का ग्राफ बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है।
17 बच्चों की हुई थी तबीयत खराब
आपको बता दें कि गत दिसंबर से जनवरी तक जहरीला कफ सिरप पीने से रामनगर में 17 बच्चों की तबीयत बिगड़ी थी। उपचार के दौरान इसमें से 11 बच्चों की मौत हो गई थी और 6 बच्चे बीमार हैं।
सितंबर 2019 से हो रही जहरीले सिरप की बिक्री
हिमाचल प्रदेश ड्रग कंट्रोलर नवनीत मारवाह ने बताया कि डिजिटल विजन फार्मास्यूटिकल की ओर से इस कफ सिरप के संदिग्ध बैच को सितंबर 2019 में बाजार में बिक्री के लिए उतारा गया था। अब जब बोतलों को वापस मंगवाना शुरू किया तो सामने आया कि करीब 3,400-3,450 बोतलें बिक चुकी है। अभी तक नहीं बिकी लगभग 1,500 बोतलों को वापस मंगवाया जा रहा है। बिक्री रिकॉर्ड के आधार पर बोतलें वापस मंगवाने का प्रयास किया जा रहा है।
बिकी हुई बोतलों का वापस मंगवा पाना बहुत मुश्किल
मारवाह ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से बिकी हुई बोतलें वापस मंगवाने के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन यह बहुत मुश्किल काम है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक बोतल में 60 मिलीलीटर खुराक होती है। ऐसे में यदि कोई भी उपभोक्ता एक बार में 5-6 मिलीलीटर खुराक लेता है तो वह बोतल महज 10-12 खुराक में ही खत्म हो चुकी होगी। यदि लोगों ने पूरी खुराक ले ली होगी तो खतरा बढ़ सकता है।
आठ राज्यों में बिक्री के लिए भेजी गई थीं 5,500 बोतलेंं
मारवाह के अनुसार जांच में सामने है कि दवा निर्माता कंपनी ने सितंबर 2019 में इस कफ सिरप का निर्माण किया था और उसकी करीब 5,500 बोतलें बिक्री के लिए जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, मेघालय और त्रिपुरा में भेजी गई थीं। सभी राज्यों में अलर्ट जारी कर दिया गया है और इनसे बिकी हुई बोतलों को वापस मंगवाने के लिए हरसंभव प्रयास करने को कहा गया है।
जांच में सिरप में मिला था जहरीला रसायन
उधमपुर में बच्चों की मौत का मामला उछलने के बाद जब सिरप की PGIMER प्रयोगशाला में जांच की गई तो उसमें 'डाइथिलीन ग्लाइकोल' नामक जहरीला रसायन पाया गया था। उसके बाद सिरप के उत्पादन और बिक्री पर रोक लगा दी गई थी।
देशभर में सैंपल लेने के लिए तैनात किए गए हैं 500 ड्रग इंस्पेक्टर
मारवाह ने बताया कि संदिग्ध बैच की आठ राज्यों में मिली 1,500 बोतलों को वापस मंगवाया जा रहा है। इसके अलावा अन्य कफ सिरप के सैंपल लेने के लिए पूरे भारत में 500 ड्रग इंस्पेक्टरों को तैनात किया गया है। उन्हें मामले में किसी भी प्रकार की कोताही नहीं बरतने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सिरप में जहरीला रसायन मिलने के बाद डिजिटल विजन फार्मास्यूटिकल कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है।
सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन में भी उठा मुद्दा
मारवाह ने बताया कि जहरीले कफ सिरप से बच्चों की मौत होने का मामला भारत की सर्वोच्च दवा नियामक संस्था सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) में भी उठाया गया है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के शीर्ष दवा नियामक वीजी सोमानी ने भी मामले की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इस बीच विशेषज्ञों ने दवा निर्माण के लिए आवश्यक कच्चे माल की जांच में लापरवाही बरते जाने की ओर भी इशारा किया है।
पहले भी फेल हो चुके हैं दवा कंपनी की विभिन्न दवाओं के सैंपल
CDSCO की रिपोर्ट के अनुसार डिजिटल विजन फार्मास्यूटिकल कंपनी की ओर से साल 2014 से 2019 तक बनाई गई मधुमेह और एंटीबायोटिक्स दवाओं के पांच सैंपल भी फेल हो चुके हैं। जम्मू-कश्मीर चिकित्सा विभाग की जांच में साल 2012-13 और 2015-16 में कंपनी की दो दवाओं के सैंपल फेल हुए थे। इसी तरह कंपनी की विभिन्न दवाओं के 13 बैच भी साल 2011 से 2019 के बीच गुजरात और महाराष्ट्र में मानकों पर खरे नहीं उतरे थे।