प्रेम विवाह के समर्थन में हरियाणा की खाप पंचायत, कहा- ऐसी शादियों से ऐतराज नहीं
प्रेम विवाह का विरोध करने के कारण विवादों में रहने वाली खाप पंचायतों में बदलाव की सरसराहट शुरू हो गई है। अंतर्जातीय विवाहों को रोकने के फरमान जारी करने वाली खाप पंचायतें अब ऐसी शादियों के समर्थन में आ रही हैं। जींद की खेड़ा खाप पंचायत ने ऐलान किया है कि वह अब प्रेम विवाह और अंतरजातीय विवाह का विरोध नहीं करेंगी। इस पंयायत के अधीन आने वाले गांवो में अब युवक-युवतियां अपनी मर्जी से शादी कर सकेंगे।
24 गांवों में रहते हैं लगभग दो लाख लोग
TOI के मुताबिक, जींद के बरसोला गांव के रहने वाले खेड़ा खाप के प्रधान सतबीर पहलवान ने कहा कि उनकी पंचायत के तहत आने वाले 24 गांवों के लोग अब प्रेम विवाह और अंतर्जातीय विवाह का विरोध नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर दो बच्चे शादी करने के लिए राजी है तो इसमें कोई बुराई नहीं है। सतबीर की मां ने कहा कि जब दोनों के मन मिल गए हैं तो इससे लोगों को क्या करना है।
ये हैं खाप पंचायत के तहत आने वाले प्रमुख गांव
खेड़ा खाप पंचायत में उचाना कस्बे के 24 गांव शामिल हैं। इनमें नागुरा, बड़ोदा, बधाना, करसिंधु, बरसोला और मोहन गढ़ छपरा आदि प्रमुख हैं। हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला उचाना विधानसभा से विधायक हैं।
क्यों खास है खेड़ा खाप का यह फैसला?
हरियाणा की खाप पंचायते प्रेम और अंतर्जातीय विवाह के विरोध में होने के कारण बदनाम रही हैं। कई बार ऐसी घटनाएं हुई हैं, जब पंचायत ने अपनी मर्जी से शादी करने वाले लड़के-लड़की के सामाजिक बहिष्कार के फरमान जारी किए थे। हरियाणा का मनोज-बबली हत्याकांड काफी चर्चित है। 2007 में प्रेम विवाह करने वाला मनोज-बबली की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। ऐसे में खाप के बदलते रवैये समय के साथ चलने की एक सराहनीय कोशिश है।
नाम में जाति का नहीं होगा जिक्र
खेड़ा खाप पंचायत ने प्रेम विवाह का विरोध न करने के फैसले से पहले एक और सराहनीय पहल की थी। जुलाई में पंचायत ने फैसला किया था कि उसके तहत आने वाले गांवों के लिए उपनाम में जाति नहीं बल्कि गांव का नाम इस्तेमाल किया जाएगा। लोगों का कहना है कि यह समाज में बराबरी की तरफ उठाया गया एक कदम है। पंचायत के प्रधान सतबीर अपने पेशे के कारण पहलवान को उपनाम के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं।
क्या बोले खाप के पंचायत?
इस फैसले के बारे में बात करते हुए पंचायत के प्रधान सतबीर पहलवान ने कहा था कि जाति नफरत फैला रही है और समाज बंटा हुआ है। इसलिए अब इन 24 गांवों के लोग जाति को उपनाम के तौर पर प्रयोग नहीं करेगा।