
टाइम मैगजीन की कवर स्टोरी में 'डिवाइडर इन चीफ' कहे जाने पर मोदी ने दी प्रतिक्रिया
क्या है खबर?
टाइम मैगजीन के अपनी कवर स्टोरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'डिवाइडर इन चीफ' कहने पर जमकर विवाद हुआ था।
यहां भारतीय जनता पार्टी ने इसे प्रधानमंंत्री मोदी की छवि खराब करने की कोशिश बताया था, वहीं कांग्रेस ने कहा था कि मोदी का सच पूरी दुनिया देख रही है।
अब खुद प्रधानमंत्री मोदी ने खुद को 'डिवाइडर इन चीफ' बुलाए जाने पर प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने क्या कहा, आइए जानते हैं।
प्रतिक्रिया
मोदी ने लेखक को बताया पाकिस्तानी
प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि टाइम मैगजीन एक विदेशी पत्रिका है और जिस लेखक ने कवर स्टोरी लिखी, वह पाकिस्तान के राजनीतिक परिवार से आता है।
उन्होंने कहा, "टाइम मैगजीन विदेशी है। लेखक ने भी कहा है कि वह पाकिस्तान के राजनीतिक परिवार से आता है। उसकी विश्वसनीयता बताने के लिए यही काफी है।"
बता दें कि इस लेख को भारत-पाकिस्तानी मूल के उपन्यासकार आतिश तासीर ने लिखा था।
भाजपा की प्रतिक्रिया
भाजपा ने लगाया था पाकिस्तान का एजेंडा चलाने का आरोप
इससे पहले 'डिवाइडर इन चीफ' स्टोरी पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा ने भी लेखक के पाकिस्तानी राजनीतिक परिवार से संबंध होने पर सवाल खड़े किए थे।
पार्टी ने तासीर पर पाकिस्तान का एजेंडा चलाने का आरोप लगाया था।
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा था, "पाकिस्तान से इससे ज्यादा उम्मीद भी नहीं की जा सकती।"
बता दें कि तासीर स्वर्गीय पाकिस्तानी राजनेता और कारोबारी सलमान तासीर और भारतीय पत्रकार तवलीन सिंह के बेटे हैं।
'डिवाइडर इन चीफ' लेख
क्या लिखा था लेख में?
टाइम मैगजीन के इस बार के अंक में कवर पेज पर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर के साथ 'इंडियाज डिवाइडर इन चीफ' लिखा हुआ था।
आतिश ने अपने लेख में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को सबसे ज्यादा बंटा हुआ बताया था।
उन्होंने भीड़ द्वारा हत्याएं, योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाना और बम धमाकों के मामलों में जमानत पर बाहर साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को भोपाल से भाजपा का उम्मीदवार बनाने आदि मुद्दों के बारे में लिखा था।
तुलना
नेहरू के विचारों से मोदी की तुलना
लेख में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के धर्मनिरपेक्षता के विचार और मोदी सरकार के दौरान आए सामाजिक तनाव की तुलना की गई थी।
इसके मुताबिक, मोदी ने हिंदू-मुस्लिमों के बीच भाईचारे की भावना को बढ़ाने के लिए कोई इच्छा नहीं दिखाई।
पूरा लेख हिंदू-मुस्लिम संबंधों के बारे में है, जिसमें गुजरात दंगों का जिक्र करते हुए मोदी को हिंदुओं के प्रति नरम होने का आरोप लगाया गया था।
वहीं, कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष को कमजोर बताया गया था।