क्या है मोदी को मिला 'फ़िलिप कोट्लर प्रेसिडेन्शियल अवार्ड' और क्यों है इस पर विवाद, जानें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिले पहले फ़िलिप कोट्लर प्रेसिडेन्शियल अवार्ड को लेकर विवाद के बीच खुद मार्केटिंग गुरु फिलिप कोट्लर ने ट्वीट करते हुए प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी। कोट्लर ने साफ किया कि उन्होंने मोदी को अवार्ड के लिए चुना है। कोट्लर के ट्वीट के बावजूद मामले और अवार्ड पर सवाल जस की तस बने हुए हैं। पुरस्कार देने वाली संस्था वर्ल्ड मार्केटिंग समिट ग्रुप (WMS) के भारतीय सहयोगी और उसकी विश्वसनीयता पर लगातार सवाल उठ रहे हैं।
कोट्लर ने दी मोदी को बधाई
विरोधियों ने उठाए अवार्ड पर सवाल
अवार्ड मिलने पर भाजपा नेताओं ने प्रधानमंत्री को बधाई दी थी। राहुल गांधी ने मोदी को बधाई देते हुए ट्वीट किया था कि यह अवार्ड इतना प्रसिद्ध है कि इसकी ना तो कोई ज्यूरी है, ना ही पहले कभी किसी को दिया गया है और इसके पीछे अलीगढ़ की एक अनजान कंपनी है। जबाव देते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि यह सवाल वह व्यक्ति कर रहा है जिसके पूरे परिवार ने खुद को ही भारत रत्न से नवाजा है।
राहुल का तंज
स्मृति ईरानी का जबाव
क्या है कोट्लर अवार्ड?
अवार्ड को अमेरिका के मार्केटिंग गुरु फिलिप कोटलर के नाम पर दिया जाता है। अवार्ड देने वाली संस्था WMS की स्थापना 2010 में खुद फिलिप ने की थी। प्रधानमंत्री मोदी से पहले संस्था ने सिर्फ विज्ञापन और मार्केटिंग के क्षेत्र में उत्कृष्ट काम वाले लोगों को ही 'कोट्लर अवॉर्ड' दिया है। संस्था ने 'फ़िलिप कोट्लर प्रेसिडेन्शियल अवार्ड' पहली बार दिया है और इसकी वेबसाइट पर इसके बारे में कोई भी जानकारी मौजूद नहीं है।
भारतीय सहयोगी पर विवाद
WMS भारत में ससलेन्स रिसर्च इंटरनेशन इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर काम करता है और यहां WMS के कार्यक्रम ससलेन्स ही आयोजित करता है। अलीगढ़ के दोदपुर में मौजूद ससलेन्स कानपुर में पंजीकृत है। इसकी स्थापना मात्र 1 साल 4 महीने पहले सितंबर 2017 में हुई थी। विवाद के बाद से ही ससलेन्स की वेबसाइट खुल नहीं रही है। इसके अलावा WMS इवेंट की वेबसाइट भी नहीं खुल रही है। कंपनी के निदेशक डॉ तौसीफ सिद्दिकी ज़िया हैं।
अवार्ड का सऊदी कनेक्शन
ससलेन्स और WMS भारत दोनों सिद्दिकी की कंपनियां हैं। उसके सऊदी अरब कनेक्शन ने मामले को एक नया रूख दे दिया है। सिद्दिकी सऊदी सरकार की पेट्रो-केमिकल कंपनी सेबिक (SABIC) में काम करते हैं, जोकि भारत में पैर जमाने की कोशिश कर रही है। सेबिक गुजरात स्थित भारत के सबसे बड़े पेट्रो-केमिकल प्लांट का काम देखती है। मोदी को अवार्ड देने वाली कमिटी के ज्यूरी सदस्यों के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं होना भी विवाद का विषय है।