MRP से ज़्यादा वसूलने पर लगा 65,000 रुपये का जुर्माना, जानें कैसे और कहाँ करें शिकायत
क्या है खबर?
अक्सर आप थिएटर में फिल्म देखने जाते हैं और पानी की बोतल ख़रीदते हैं, वहाँ आपसे अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) से ज़्यादा वसूला जाता हैं।
इसके बाद भी ज़्यादातर लोग आवाज़ नहीं उठाते हैं। ज़्यादातर लोग भूल जाते हैं और फिर से ज़्यादा मूल्य पर सामान ख़रीदते हैं।
मदुरै के अरासारडी एस सुमेश भी एक रेस्टोरेंट को मूल्य से ज़्यादा का भुगतान कर सकते थे, लेकिन उन्होंने आवाज़ उठाई और रेस्टोरेंट को 65,000 रुपये का जुर्माना भरना पड़ा।
जानकारी
उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम पंहुचा मामला
दरअसल सुमेश यह मामला ज़िला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम में ले गए। वहाँ जूझने के बाद रेस्टोरेंट को जुर्माने के रूप में 15,000 रुपये और दंडात्मक हर्ज़ाने के रूप में 50,000 भरना पड़ा।
मूल्य
माँगे गए MRP से 3 रुपये ज़्यादा
जानकारी के अनुसार, अप्रैल, 2016 में सुमेश ने पलंगनाथम में पेचीअम्मन मिल्क डिपो रेस्टोरेंट से 200 मिली लीटर की फ़्लेवर्ड एक दूध की बोतल ख़रीदी।
बोतल पर 22 रुपये MRP था, लेकिन उन्हें 25 रुपये देने के लिए कहा गया।
अपनी याचिका में सुमेश ने दावा किया कि बोतल पर MRP मुद्रित नहीं किया गया था, बल्कि इसकी बजाय एक संशोधित राशि वाला स्टिकर चिपकाया गया था, जो अनुचित व्यापार है।
शुल्क
अतिरिक्त सुविधाओं के लिए लिया जाता है ज़्यादा शुल्क
वहीं, रेस्टोरेंट ने अपने लिखित उत्तर में उल्लेख लिया कि चूँकि उनके पास सभी आधुनिक सुविधाओं के साथ एक अच्छी तरह से सुसज्जित सेटअप था, जिसकी वजह से अतिरिक्त शुल्क लगाया गया था।
यह अतिरिक्त शुल्क ग्राहकों को दी जानें वाली अतिरिक्त सेवाओं और रखरखाव के लिए था।
हालाँकि, रेस्टोरेंट के इस तर्क को फोरम ने अस्वीकार कर दिया और यह माना कि रेस्टोरेंट सच में अनुचित व्यापार में लिप्त था।
MRP
MRP क्या है?
MRP उच्चतम मूल्य है, जिस पर किसी भी उत्पाद को भारत में बेचा जा सकता है। इसमें उत्पादन, परिवहन, लाभ और सभी करों की लागत शामिल होती है।
इसलिए उपभोक्ता के रूप में इस बात का ध्यान दें कि किसी उत्पाद पर उल्लिखित MRP के ऊपर आपको कोई भी उत्पाद नहीं बेचा जा सकता है।
इसके साथ ही कुछ भी ख़रीदते समय यह देखें कि उस पर MRP मुद्रित हो। अगर न हो तो इसकी भी शिकायत कर सकते हैं।
अनुचित व्यापार
क्या है अनुचित व्यापार अभ्यास?
अनुचित व्यापार अभ्यास एक व्यापारी के अन्याय को संदर्भित करता है, जो अनैतिक या धोखाधड़ी है, जिससे उपभोक्ता को असुविधा या शिकायत होती है।
इसे उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 2(1) (r) के तहत परिभाषित किया गया है।
परिभाषा के अनुसार, 'यह बिक्री के प्रचार के लिए किया गया एक व्यापार अभ्यास है। यह एक भ्रामक पद्धति या अभ्यास को अपनाकर किसी भी सामान या सेवाओं का वितरण या उपयोग है।'
शिकायत
अगर आपसे ज़्यादा मूल्य वसूला जाता है, तो करें यह
अगर आपको MRP से ज़्यादा मूल्य पर कोई भी सामान बेचा जाता है, तो आप अपने फोन से या ऑनलाइन इसकी शिकायत कर सकते हैं।
तत्काल कदम के रूप में आप अपने फोन से 1800-11-4000 या 1800-11-14404 नंबर डायल करके शिकायत कर सकते हैं।
राष्ट्रीय अवकाश को छोड़कर आप हर दिन इन हेल्पलाइन नंबरों पर शिकायत कर सकते हैं। इसके अलावा आप शिकायत करने के लिए 81300-09809 पर SMS भी भेज सकते हैं।
ऑनलाइन
ऑनलाइन भी कर सकते हैं शिकायत
ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने के लिए आप www.consumerhelpline.gov.in वेबसाइट पर लॉग-इन कर सकते हैं।
वहाँ पंजीकरण फ़ॉर्म में जानकारी भरें। अब आपके ईमेल या मोबाइल नंबर पर OTP भेजा जाएगा। एक बार लॉग-इन करने के बाद आप वहाँ अपनी शिकायत कर सकते हैं।
एक बार शिकायत दर्ज करने के बाद आपको एक नंबर दिया जाता है। इससे आप अपने शिकायत की स्थिति को ट्रैक कर सकते हैं। यह वेबसाइट हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों में उपलब्ध है।
जानकारी
कहाँ दर्ज करवाएँ शिकायत
दावे के मूल्य के आधार पर आप निम्न फोरम में संपर्क कर सकते हैं:
1) यदि दावे का मूल्य 20 लाख रुपये तक है, तो ज़िला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम (DCDRF) में शिकायत करें।
2) आपके दावे का मूल्य 20 लाख से 1 करोड़ रुपये के बीच है, तो राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (SCDRC) जाएँ।
3) अगर आपके दावे का मूल्य 1 करोड़ रुपये से ज़्यादा है, तो आप राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) में अपनी शिकायत करें।