सुप्रीम कोर्ट ने OTT कंटेंट को रेगुलेट करने के मामले में सरकार से मांगा हलफनामा
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम जैसे OTT प्लेटफॉर्म पर कंटेंट को रेगुलेट करने के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा OTT प्लेटफॉर्म पर कंटेंट को रेगुलेट करने करने के लिए अब तक उठाए गए सभी कदमों की जानकारी मांगी। इसके अलावा कोर्ट ने सरकार को इस संबंध में छह सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने के भी आदेश दिए हैं। आगे पढ़े विस्तृत खबर।
OTT कंटेंट को रेगुलेट करने करने के संबंध में दायर की थी याचिका
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार अधिवक्ता शशांक शेखर झा और अपूर्वा अरहतिया ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करते हुए विभिन्न OTT और डिजिटल प्लेटफार्मों पर कंटेंट की निगरानी और प्रबंधन के लिए एक उचित बोर्ड या संस्थान की मांग की थी। इसमें कहा गया था कि फिलहाल सिनेमा हॉल खुलने की संभावना नहीं है। ऐसे में OTT प्लेटफॉर्म फिल्म निर्माताओं और कलाकारों को अपनी फिल्मों और सीरीजों को बिना आधिकारिक मंजूरी के प्रसारण की अनुमति देंगे।
बिना किसी जांच के OTT प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराया जा रहा है कंटेंट
याचिका में कहा गया था कि डिजिटल कंटेंटों की निगरानी और प्रबंधन के लिए कोई कानून या स्वायत्त निकाय नहीं है। ऐसे में कंटेंट को बिना किसी जांच और स्क्रीनिंग के OTT प्लेटफॉर्म के जरिए बड़े पैमाने पर लोगों को उपलब्ध कराया जा रहा है। इसमें अश्लील कंटेंट भी शामिल है। याचिका में यह भी कहा गया था कि सरकार की ओर से अभी तक OTT कंटेंट की निगरानी के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
किसी भी OTT प्लेटफॉर्म ने स्व-नियमन पर नहीं किए हस्ताक्षर
याचिका में यह भी कहा गया था कि नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, जी5 और हॉटस्टार सहित OTT/स्ट्रीमिंग प्लेटफार्मो में से किसी ने भी फरवरी 2020 से सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा प्रदान किए गए सेल्फ-रेगुलेशन पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। ऐसे में इस सख्ती जरूरी है।
OTT कंटेंट को रेगुलेट करने के लिए क्या कदम उठा रही सरकार- सुप्रीम कोर्ट
मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश (CJI) एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने पूछा कि OTT कंटेंट को रेगुलेट करने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है? इस पर केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिस्टिर जनरल केएम नटराज ने कहा कि यह मुद्दा अभी विचाराधीन है और अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं किया है, लेकिन सरकार इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाने पर विचार कर रही है।
"आप क्या कर रहे हैं और क्या करना चाहते हैं?"
CJI ने पूछा, "आप क्या कर रहे हैं, क्या कानून बना रहे हैं? आप क्या करना चाहते हैं? कोर्ट केवल आपके विचार-विमर्श को स्वीकार नहीं कर सकती है। ऐसे में सरकार को आगामी छह सप्ताह में इस संबंध में कोर्ट में हलफनामा दाखिल करना होगा।" CJI ने आगे कहा कि इस संबंध में नोटिस जारी किया गया है। ऐसे में मामले को लंबित याचिकाओं के साथ टैग किया जा रहा है। हलफनामा पेश होने के बाद सुनवाई की जाएगी।
पिछले साल भी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा था जवाब
बता दें कि पिछले साल अक्टूबर में भी सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न OTT/स्ट्रीमिंग और डिजिटल मीडिया प्लेटफार्मों पर कंटेंट की निगरानी और प्रबंधन के लिए एक उचित संस्थान की स्थापना के लिए दायर की गई एक जनहित याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा था।
यह है OTT प्लेटफॉर्म का सेल्फ-रेगुलेशन कोड
इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) ने 11 फरवरी को यूनिवर्सल सेल्फ-रेगुलेशन कोड को लागू करने के लिए एक 'टूलकिट' को अडॉप्ट करने का ऐलान किया था। यह कोड 4 सितंबर, 2020 को लाया गया था और इसे 17 मुख्य स्ट्रीमिंग सर्विसेज ने साइन किया है। IAMAI के अनुसार इस 'टूलकिट' का उद्देश्य इस कोड के प्रावधानों को लागू करने की प्रक्रिया देने का और OTT प्लेटफॉर्म्स को उनकी जिम्मेदारियां पूरा करने का अवसर देना है।