भारत में कोरोना संक्रमण से अब तक हुई 300 से अधिक पत्रकारों की मौत- रिपोर्ट
कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत से लेकर अब तक अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों तक पल-पल की खबरें पहुंचाने वाले पत्रकारों को सरकार की बेरूखी के चलते घातक वायरस के आगे घुटने टेकने पड़ रहे हैं। देशभर में महामारी की चपेट में आने से अब तक 300 से अधिक पत्रकारों की मौत हो चुकी है। इंस्टीट्यूट ऑफ परसेप्शन स्टडीज की एक रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इसके बाद भी सरकार ठोस कदम नहीं उठा रही है।
महामारी की दूसरी लहर में हुई सबसे अधिक पत्रकारों की मौत
इंडिया टुडे के अनुसार रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल 2020 से 16 मई 2021 तक कोरोना संक्रमण से कुल 320 पत्रकारों की मौत हुई है। इनमें से 238 मौतों की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 82 की जांच जारी है। अप्रैल से दिसंबर 2020 तक 56 पत्रकारों की मौत हुई थी, लेकिन दूसरी लहर यानी जनवरी से अप्रैल 2021 के बीच 11 तो 1 अप्रैल से 16 मई, 2021 तक कुल 171 पत्रकारों की मौत हुई है।
मई में प्रतिदिन औसतन चार पत्रकारों की हुई मौत
रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2021 में प्रतिदिन औसतन दो पत्रकारों की मौत हुई थी, लेकिन मई में आंकड़ा बढ़कर चार पर पहुंच गया है। अप्रैल में देशभर में कुल 52 पत्रकारों की मौत हुई थी, लेकिन मई में 119 पत्रकार महामारी की भेट चढ़ गए।
तेलंगाना में हुई सबसे अधिक 39 पत्रकारों की मौत
रिपोर्ट के अनुसार अब तक सत्यापित हुई कुल 238 पत्रकारों की मौतों में से सबसे अधिक 39 मौत तेलंगाना में हुई है। इसके बाद उत्तर प्रदेश में 37, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 30, महामारी से सबसे अधिक प्रभावित महाराष्ट्र में 24, ओडिशा में 26 और मध्य प्रदेश में 19 पत्रकारों की मौत हुई है। इनमें यदि अपुष्ट 82 पत्रकारों की मौतों को भी शामिल कर दिया जाए तो राज्यवार आंकड़ा अधिक हो सकता है। यह बेहद गंभीर स्थिति है।
41-50 आयु वर्ग के पत्रकारों की हुई सबसे अधिक मौतें- रिपोर्ट
रिपोर्ट के अनुसार संक्रमण से हुई पत्रकारों की कुल मौतों में से 31 प्रतिशत मौतें 41-50 साल आयु वर्ग के पत्रकारों की हुई है। इसी तरह 24 प्रतिशत मौतें 61-70 वर्ष, 19 प्रतिशत मौतें 51-60 वर्ष, 15 प्रतिशत 31-40 वर्ष और नौ प्रतिशत 71 साल से अधिक उम्र वालों की हुई है। इसी तरह 55 प्रतिशत मौतें प्रिंट मीडिया, 25 प्रतिशत टीवी और डिजीटल मीडिया तथा 20 प्रतिशत मौतें फ्रीलांस पत्रकारों की हुई है।
छोटे शहरो के पत्रकार अधिक बने कोरोना वायरस का शिकार
रिपोर्ट के अनुसार छोटे शहरों के पत्रकार सबसे अधिक कोरोना वायरस का शिकार बने हैं। कुल मौतों में से 35 प्रतिशत यानी 85 पत्रकार मेट्रो शहरों से हैं जबकि 64 प्रतिशत यानी 153 पत्रकार जिले, कस्बे और ग्रामीण इलाके से आते हैं।
सूची में कार्य के दौरान संक्रमित हुए पत्रकारों को किया शामिल- नीलिमा
इंस्टीट्यूट ऑफ परसेप्शन स्टडीज की निदेशक डॉ कोटा नीलिमा ने कहा कि 82 पत्रकारों की मौत के सत्यापन का कार्य जारी है। उसके बाद संख्या में इजाफा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस सूची में उन सभी पत्रकारों को शामिल किया है जिनकी फील्ड में समाचार कवर करने या कार्यालयों में काम करने के दौरान संक्रमित होने के बाद मौत हुई है। इनमें मीडिया संस्थानों के पत्रकार, स्ट्रिंगर, फ्रीलांसर, फोटो जर्नलिस्ट और नागरिक पत्रकार शामिल हैं।
प्रेस काउंसिल की पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर्स घोषित करने की मांग
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य आनंद राणा ने बताया कि पिछले साल सितंबर में काउंसिल ने सभी राज्य सरकारों को पत्रल लिखकर पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर्स घोषित करने की मांग की थी, लेकिन अपेक्षित कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद इस साल अप्रैल में फिर सरकारों को पत्र लिखा गया था। इसके अलावा हरियाणा के मॉडल पर पत्रकारों का स्वास्थ्य बीमा कराने कराने की भी मांग की गई थी। इसमें पत्रकारों को पांच से 20 लाख का बीमा मिलता है।
16 राज्यों ने पत्रकारों को घोषित किया फ्रंटलाइन वर्कर्स
राणा ने बताया कि 16 राज्य सरकारों ने पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर्स घोषित कर दिया है। इनमें मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, बिहार, तमिलनाडु, मणिपुर, पंजाब, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, राजस्थान और केरल शामिल हैं। इसी तरह ओडिशा सरकार ने पत्रकारों के निधन पर 15 लाख रुपये और राजस्थान सरकार ने 50 लाख रुपये की आर्थिक मदद का ऐलान किया है। इसी तरह उत्तर प्रदेश सरकार ने पांच लाख की घोषणा की है।
देश में क्या है कोरोना महामारी की स्थिति?
भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस से संक्रमण के 2,63,533 नए मामले सामने आए और रिकॉर्ड 4,329 मरीजों की मौत हुई। देश में लगातार दूसरे दिन तीन लाख से कम नए मामले सामने आए हैं। इसी के साथ देश में कुल संक्रमितों की संख्या 2,52,28,996 हो गई है। इनमें से 2,78,719 लोगों को इस खतरनाक वायरस के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है। सक्रिय मामलों की संख्या कम होकर 33,53,765 हो गई है।