दिल्ली: ठीक होने के बाद कोरोना वायरस के पहले मरीज ने बताई आपबीती, ऐसे बिताया समय
क्या है खबर?
दिल्ली में कोरोना वायरस के पहले मरीज 45 वर्षीय रोहित दत्ता अब पूरी तरह से ठीक हो चुकी हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है।
रविवार को उन्होंने वायरस से अपनी लड़ाई के बारे में बताया और कहा कि सफदरजंग अस्पताल में वायरस के मरीजों के लिए बनाए गए आइसोलेशन वार्ड (अलग वार्ड) किसी आलीशान होटल से कम नहीं हैं।
अस्पताल के स्टाफ की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि वे साफ-सफाई का बेहद ध्यान रखते थे।
संक्रमण
फरवरी में दो रिश्तेदारों के साथ इटली गए थे रोहित
जूतों पर इस्तेमाल होने वाला तकनीकी कपड़ा बनाने की कंपनी चलाने वाले रोहित दत्ता प्रदर्शनी में हिस्सा लेने के लिए मध्य फरवरी में इटली गए थे।
उनके साथ उनके दो रिश्तेदार भी इटली गए थे और वे भी कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे। उनसे आगरा में रहने वाले परिवार के चार अन्य सदस्य भी वायरस के प्रभाव में आ गए और सातों को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया।
शनिवार को इन सभी को छुट्टी दे दी गई।
आपबीती
25 फरवरी को यूरोप से वापस दिल्ली आए थे रोहित
अपनी आपबीती बताते हुए रोहित ने कहा कि जब वे इटली गए तब वहां कोरोना वायरस के प्रकोप की कोई रिपोर्ट नहीं थी।
25 फरवरी को वे इटली से वापस दिल्ली आए और उसी रात रोहित को बुखार आया।
रोहित ने बताया, "जब मैं यूरोप में था, तब पूरी तरह से स्वस्थ था। हम तीनों एक दिन में 25,000 कदम चलते थे। एयरपोर्ट पर मेरी स्क्रीनिंग हुई और तब मुझमें लक्षण नहीं पाए गए। रात को मुझे बुखार आ गया।"
लक्षण
28 फरवरी को फिर आया बुखार
रोहित इस दिन बुखार की दवाई लेकर सो गए और अगले दिन डॉक्टर के पास गए जिसने तीन दिन की दवाई लिखी।
28 फरवरी को अपने बेटे के जन्मदिन पर उन्होंने हयात हो़टल में एक छोटी पार्टी का आयोजन किया। इस रात उन्हें फिर से बुखार आया।
उन्होंने बताया कि तब तक इटली में कोरोना वायरस के प्रकोप की खबरें आ चुकी थीं और वे और उनका परिवार डर गया।
तत्पर कार्रवाई
नतीजे पॉजिटिव आने पर 30 मिनट के अंदर पहुंचाया गया सफदरजंग अस्पताल
इसके बाद परिजनों की सलाह पर रोहित राम मनोहर लोहिया अस्पताल में दिखाने गए और लक्षण देखने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें भर्ती होने को कहा।
अगली शाम को उनकी रिपोर्ट आई तो उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया और 30 मिनट के अंदर उन्हें सफदरजंग अस्पताल भेज दिया गया।
उन्होंने कहा, "मेरे पॉजिटिव आने के 30 मिनट के अंदर डॉक्टर टेस्टिंग करने के लिए मेरे और मेरे दोस्तों के घर थे। उन्होंने स्कूल में भी टेस्ट किए।"
डर और भरोसा
"मुझे लगा मैं मर सकता हूं, लेकिन डॉक्टरों ने कहा मैं ठीक हो जाऊंगा"
अस्पताल की प्रशंसा करते हुए रोहित ने कहा, "ये अविश्वसनीय था। सफदरजंग अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड किसी सरकारी अस्पताल जैसे नहीं थे। ये किसी आलीशान होटल से कम नहीं थे। स्टाफ साफ-सफाई का बेहद ध्यान रखता था और सभी चीजों को दिन में दो बार साफ करते थे।"
उन्होंने कहा, "ये एक नई बीमारी है और मुझे लगा कि मैं मर सकता हूं। लेकिन डॉक्टरों ने मुझे बताया कि मेरे लक्षण हल्के हैं और मैं ठीक हो जाऊंगा।"
बयान
नर्सों और सफाई स्टाफ ने कहा- ये हमारा कर्तव्य
रोहित ने आगे कहा, "मैंने नर्सों और सफाई स्टाफ को अपना जीवन खतरे में डालने के लिए धन्यवाद कहा। उन्होंने मुझसे कहा कि उन्होंने इस प्रोफेशन को चुना है, ये उनका कर्तव्य है और मुझे उनका शुक्रिया अदा करने की जरूरत नहीं है।"
समय कैसे काटा?
समय बिताने के लिए ये करते थे रोहित
सफदरजंग अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में उन्होंने समय कैसे काटा, इस बारे में बताते हुए रोहित ने कहा कि उन्हें बिल्कुल भी अकेलापन महसूस नहीं हुआ।
उन्होंने बताया कि एक फोन के जरिए वे अपने परिवार के साथ वीडियो कॉल पर बात करते थे। इसके अलावा वे नेटफ्लिक्स का उपयोग भी करते थे।
रोहित ने बताया कि वे दिन में दो बार प्राणायाम करते थे और इस दौरान उन्होंने 'चाणक्य नीति' नामक किताब भी पढ़ी।
होली की शुभकामनाएं
स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने फोन पर दी थी रोहित को होली की शुभकामनाएं
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के होली के दिन उन्हें फोन करने के बारे में बताते हुए रोहित ने कहा, "स्वास्थ्य मंत्री ने मुझे कॉल किया और होली की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने मुझसे पूछा कि मुझे कोई दिक्कत तो नहीं है और मुझे अस्पताल का खाना पसंद है कि नहीं। उन्होंने कहा कि वे और प्रधानमंत्री खुद कोरोना के मरीजों की स्थिति पर नजर रख रहे हैं। कल्पना कीजिए कि स्वास्थ्य मंत्री ने मुझे फोन किया। मैं एक आम आदमी हूं।"