मणिपुर हिंसा का एक साल: हाई कोर्ट के एक आदेश से कैसे भड़की हिंसा, कब-क्या हुआ?
भारत का उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर बीते एक साल से हिंसा में झुलस रहा है। 3 मई, 2023 को शुरू हुई हिंसा को एक साल हो गया है। इस दौरान सैकड़ों लोगों की मौत हुई, हजारों घायल हुए और लाखों को अपना घर छोड़ना पड़ा। सरकार को कोशिशों और सुरक्षा बलों की भारी तैनाती के बावजूद हिंसा की छिटपुट घटनाएं आज भी जारी हैं। आइए जानते हैं मणिपुर हिंसा के शुरू होने से लेकर अब तक की कहानी।
मैतेई और कुकी समुदाय के बीच टकराव
मणिपुर हिंसा की वजह जानने से पहले यहां की आबादी के बारे में जानना होगा। करीब 38 लाख आबादी वाले मणिपुर में 3 प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं और गैर-आदिवासी हैं। नगा और कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं और आदिवासी हैं। करीब 10 प्रतिशत इलाके में फैली इंफाल घाटी में मैतेई समुदाय के लोग, जबकि 90 प्रतिशत पहाड़ी इलाकों में नगा-कुकी समुदाय के लोग रहते हैं।
कैसे शुरू हुई हिंसा?
मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें जनजाति का दर्जा दिया जाए। उनका कहना है कि मणिपुर के भारत में विलय से पहले उन्हें जनजाति का दर्जा मिला हुआ था। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिए जाने की याचिका पर विचार करने को कहा। इसके विरोध में कुकी समुदाय ने 3 मई को आदिवासी एकता मार्च निकाला और हिंसा भड़क उठी।
एक महीने में ही 100 से ज्यादा लोगों की मौत
मणिपुर में हिंसा शुरू होने के एक महीने के भीतर ही 100 से ज्यादा लोग मारे गए। उग्रवादियों ने कई घरों को आग लगा दी और सुरक्षा बलों पर हमले हुए। इस दौरान सरकार ने इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया। जून, 2023 में केंद्र सरकार ने हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए एक 3 सदस्यीय समिति गठित की, जिसकी अध्यक्षता गुजरात हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायधीश जस्टिस अजय लांबा को सौंपी गई।
निर्वस्त्र महिलाओं की परेड वाले वीडियो से दहल उठा देश
19 जुलाई को मणिपुर से महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड निकालने का वीडियो सामने आया, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया। ये घटना 4 मई की थी, जब मैतेई समुदाय के लोगों ने कांगपोकपी जिले के बी फैनोम गांव पर हमला कर दिया था। जान बचाने के लिए 3 महिलाएं 2 पुरुषों के साथ जंगल की ओर भागीं, जिन्हें पुलिस अपने साथ थाने लेकर जा रही थी। भीड़ ने महिलाओं को पुलिस से छुड़ा लिया और निर्वस्त्र कर घुमाया।
अधिकारियों और नेताओं के घर पर भी हुए हमले
मणिपुर में हिंसा से नेता और सरकारी अधिकारी भी अछूते नहीं रहे। 27 सितंबर, 2023 को प्रदर्शनकारियों ने इंफाल पश्चिम जिले में डिप्टी कलेक्टर के घर पर हमला कर परिसर में खड़ी 2 गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया था। इसी दिन थाउबल जिले में भाजपा कार्यालय में आग भी लगा दी गई। इस बीच जुलाई, 2023 तक पुलिस ने 6,000 FIR दर्ज की, लेकिन मात्र 657 लोगों की गिरफ्तारियां हुईं। उग्रवादियों ने सुरक्षाबलों से सैकड़ों हथियार लूटे।
मुख्यमंत्री के इस्तीफे को लेकर हाईवोल्टेज ड्रामा
हिंसा के बीच विपक्षी पार्टियां मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे की मांग करने लगीं। इस बीच जून में बीरेन सिंह ने इस्तीफा देने के लिए राज्यपाल से मिलने का वक्त मांगा। वे इस्तीफा देने जा रहे थे कि नाटकीय घटनाक्रम में भीड़ ने उन्हें घेर लिया और इस्तीफे के पन्ने ही फाड़ दिए। इसी दौरान राहुल गांधी ने मणिपुर का 2 दिवसीय दौरा किया और लोगों से मिले।
सरकार के खिलाफ आया अविश्वास प्रस्ताव
मणिपुर के मुद्दे पर विपक्ष गठबंधन INDIA केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया। उसका कहना था कि इसी बहाने प्रधानमंत्री को इसी मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़नी पड़ेगी। हालांकि, ये प्रस्ताव गिर गया, लेकिन इस दौरान संसद में खूब बहस हुई। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पर मणिपुर में भारत मां की हत्या का आरोप लगाया। जवाब में प्रधानमंत्री ने मणिपुर की समस्याओं के पीछे कांग्रेस को वजह बताया।
मणिपुर में अब कैसे हैं हालात?
एक साल बाद भी मणिपुर में छिटपुट हिंसा का दौर जारी है। लोकसभा चुनावों की दौरान भी हिंसा हो रही है, जिसके चलते कई मतदान केंद्रों पर दोबारा मतदान हुआ है। एक साल बाद मरने वालों का आंकड़ा 219 पर पहुंच चुका है, करीब 60,000 लोग विस्थापित हुए हैं, 4,786 घर जला दिए गए हैं और 386 धार्मिक स्थलों को नष्ट कर दिया गया है। हालांकि, ये आधिकारिक आंकड़ा है, लेकिन स्थानीय लोग तबाही को कहीं ज्यादा भयावह बताते हैं।