मणिपुर हिंसा: 6 महीने बाद केवल 25 प्रतिशत लूटे हुए हथियार बरामद
मणिपुर में हिंसा के करीब 6 महीनों बाद तक लूटे गए हथियारों में से केवल 25 प्रतिशत ही बरामद हुए हैं। वहीं, केवल 5 प्रतिशत गोला-बारूद की बरामदगी हुई है। अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी है। ये हालात तब हैं, जब मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह लगातार प्रदर्शनकारियों से लूटे गए हथियार सौंपने की अपील कर रहे हैं। बीरेन सिंह ने ऐसा न करने पर कार्रवाई की बात भी कही है।
अब तक कितने हथियार हुए बरामद?
रिपोर्ट के मुताबिक, लूटे गए करीब 5,600 हथियारों में से 1,500 बरामद कर लिए गए हैं। दूसरी ओर, गायब हुए 5.6 लाख राउंड गोला-बारूद में से करीब 20,000 पुलिस के पास वापस आ गए हैं। बिष्णुपुर और चुराचांदपुर जिलों के शस्त्रागारों से लगभग 1,000 हथियार लूटे गए थे। सूत्रों के मुताबिक, हथियार और गोला-बारूद की लूट सबसे ज्यादा मई महीने में हुई, जब हिंसा चरम पर थी। मई के बाद छिटपुट घटनाओं को छोड़कर कोई लूटपाट नहीं हुई।
3 जिलों से लूटे गए 80 प्रतिशत हथियार
लूटे गए हथियारों में से लगभग 80 प्रतिशत 3 जिलों- इंफाल पूर्व, चुराचांदपुर और बिष्णुपुर से गायब हुए थे। इंफाल पूर्व से सबसे ज्यादा 3,500 हथियार और लगभग 4 लाख राउंड गोला-बारूद लूटा गया। बता दें कि मणिपुर राइफल्स की 7वीं बटालियन, 8वीं इंडिया रिजर्व बटालियन और मणिपुर पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज के परिसर इंफाल पूर्वी जिले में ही स्थित हैं। सबसे ज्यादा हथियार भी इंफाल पूर्व जिले से ही बरामद किए गए हैं।
इंटरनेट पर प्रतिबंध 31 अक्टूबर तक बढ़ा
मणिपुर सरकार ने मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध 31 अक्टूबर तक बढ़ा दिया है। एक आदेश में कहा गया है कि कुछ असामाजिक तत्व जनता की भावनाओं को भड़काने वाली तस्वीरें, नफरत भरे वीडियो प्रसारित करने के लिए बड़े पैमाने पर इंटरनेट मीडिया का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिसका कानून व्यवस्था पर गंभीर असर हो सकता है। इससे पहले भी कई बार मणिपुर में इंटरनेट पर प्रतिबंध की अवधि बढ़ाई गई है।
न्यूजबाइट्स प्लस
मणिपुर में 3 मई को कुकी समुदाय ने गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय को आदिवासी का दर्जा दिए जाने के खिलाफ एकजुटता मार्च निकाला था, जिसके बाद हिंसा भड़क गई थी। यहां बहुसंख्यक मैतेई 53 प्रतिशत हैं, जो इंफाल घाटी में रहते हैं और आदिवासी कुकी समुदाय 40 प्रतिशत हैं, जो पहाड़ी जिलों में रहते हैं। मणिपुर हिंसा में अब तक 180 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों बेघर हुए हैं।