मणिपुर: स्कूली पुस्तक में कुकी समुदाय का "मनगढ़ंत" इतिहास लिखने का आरोप, प्रतिबंध की मांग
क्या है खबर?
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के नेता और पार्टी के राष्ट्रीय सचिव महेश्वर थौनाओजम ने मणिपुर की स्कूली पुस्तक में कुकी समुदाय का गलत इतिहास पेश करने का आरोप लगाया है और इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
कीशमपत स्थित अपने घर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि मणिपुर के बोर्ड द्वारा निर्धारित कक्षा 11 की पाठ्यपुस्तक में कुकी समुदाय के इतिहास को मनगढ़ंत और विकृत तरीके से पेश किया गया है।
आरोप
मणिपुर के शिक्षा मंत्री के सामने उठाया मुद्दा
महेश्वर ने कहा कि 'मणिपुर का इतिहास' नामक पुस्तक के एक खंड में कुकी के इतिहास को विकृत किया गया है, जिसका सटीक जानकारी के अभाव में छात्रों पर गलत असर पड़ रहा है।
उन्होंने यह मुद्दा मणिपुर के शिक्षा मंत्री थौनाओजम बसंत कुमार के सामने उठाया है।
उन्होंने बताया कि शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया है कि वह पुस्तक की समीक्षा करेंगे और 2 से 3 दिन में प्रतिबंध लगाने के लिए उचित कार्रवाई करेंगे।
इतिहास
किताब में इतिहास से क्या छेड़छाड़ की गई है?
महेश्वर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में 'द कुकी' शीर्षक के उपशीर्षक की ओर इशारा करते हुए कहा कि इसमें बताया गया है कि कुछ कुकी आदिवासी लोग प्रागैतिहासिक काल के दौरान मणिपुर आए थे।
उन्होंने 33 ईसवी से मणिपुर के प्रलेखित इतिहास और जेम्स जॉनस्टोन की किताब 'मणिपुर और नागा हिल्स' (1896) का संदर्भ देते हुए इस दावे को गलत बताया। इस किताब में कहा गया है कि 'कुकी' शब्द उत्पत्ति 1830 और 1840 के बीच हुई थी।
विवाद
अंग्रेजों और कुकी युद्ध को लेकर भी आपत्ति
महेश्वर ने गृह मंत्रालय के सूचना का अधिकार (RTI) से मिले जवाब का हवाला देते हुए बताया कि मणिपुर के इतिहास में कभी अंग्रेजों और कुकी का युद्ध नहीं हुआ।
उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में इस युद्ध को शामिल करने की आलोचना की। उन्होंने बताया कि वह एक पेपर प्रस्तुत करके मनगढ़ंत इतिहास को हटाने का आग्रह करेंगे।
बता दें, केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले की रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (A) भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का हिस्सा है।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
मणिपुर में बहुसंख्यक मैतेई और आदिवासी कुकी समुदायों के बीच 3 मई से हिंसा जारी है। इसमें कम से कम 185 से अधिक लोग मारे गए हैं और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। सरकार हिंसा रोकने में नाकाम रही है।