जानें दिल्ली की कोर्ट ने क्यों कहा, जामा मस्जिद पाकिस्तान में नहीं है

नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए गिरफ्तार किए गए भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि प्रदर्शन करना किसी का भी संवैधानिक अधिकार है और पुलिस ऐसे व्यवहार कर रही है जैसे जामा मस्जिद पाकिस्तान में हो। कोर्ट ने धारा 144 के दुरुपयोग पर भी दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई।
चंद्रशेखर आजाद 20 दिसंबर को दिल्ली की जामा मस्जिद के बाहर हुए एक बड़े प्रदर्शन में शामिल हुए थे। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट करते हुए अपने समर्थकों से इस प्रदर्शन में शामिल होने को कहा था। आजाद यहां न पहुंच पाए इसलिए पुलिस ने आसपास कड़ा पहरा लगाया था, लेकिन वो पुलिस को चकमा देते हुए अचानक से भीड़ में प्रकट हुए और भारतीय संविधान की प्रस्थावना को पढ़ा। पुलिस के पकड़ने पर वो छूटकर भाग गए थे।
इसके अगले दिन 21 जनवरी को आजाद को गिरफ्तार किया गया था और उन पर दंगा करने, लोगों को हिंसा के लिए भड़काने और गैरकानूनी तरीके से जमा होने जैसे गंभीर मामलों में केस दर्ज किया गया था।
आजाद 18 जनवरी तक की न्यायिक हिरासत में हैं और उन्होंने तीस हजारी कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। आज जब उनकी याचिका पर सुनवाई शुरू हुई तो दिल्ली पुलिस के वकील ने जामा मस्जिद पर प्रदर्शन बुलाने की आजाद की एक सोशल मीडिया पोस्ट को पढ़ा। इस पर जज कामिनी लाउ ने कहा, "इसमें क्या गलत है? प्रदर्शन करने में क्या गलत है? प्रदर्शन करना किसी का भी संवैधानिक अधिकार है।"
जज लाउ ने आगे कहा, "हिंसा कहां है? इनमें से किसी भी पोस्ट में क्या गलत है? कौन कहता है कि आप प्रदर्शन नहीं कर सकते... क्या आपने संविधान पढ़ा है? इनमें से कोई भी पोस्ट असंवैधानिक नहीं है।" उन्होंने कहा, "आप ऐसे व्यवहार कर रहे हैं जैसे जामा मस्जिद पाकिस्तान में हो। अगर ये पाकिस्ताम में भी होती तो भी आप वहां जाकर प्रदर्शन कर सकते हैं। पाकिस्तान अविभाजित भारत का हिस्सा था।"
दिल्ली पुलिस ने जब कहा कि ऐसे प्रदर्शनों के लिए अनुमति लेने की जरूरत थी क्योंकि इलाके में धारा 144 लगी हुई थी जज लाउ ने कहा, "कैसे अनुमति? सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि धारा 144 का लगातार प्रयोग गलत है।" उन्होंने कहा कि उन्होंने कई लोगों को देखा है जिन्होंने संसद के बाहर प्रदर्शन किया और जो बाद में नेता और मंत्री बने। उन्होंने कहा कि आजाद एक उभरते हुए नेता हैं और प्रदर्शन करना उनका अधिकार है।
दिल्ली पुलिस ने जब धार्मिक स्थल के बाहर प्रदर्शन की बात कही तो जज लाउ ने कहा, "कौन सा कानून कहता है कि धार्मिक स्थल के बाहर प्रदर्शन नहीं किया जा सकता।" उन्होंने कहा कि लोग प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर इसलिए हैं क्योंकि संसद के अंदर जो चीजें कही जानें चाहिए थीं वो नहीं कहीं गईं। पुलिस के सबूत पेश करने के लिए और समय मांगने के बाद मामले की सुनवाई को कल के लिए टाल दिया गया।