कर्नाटक: स्कूल की किताब में लिखा गया- बुलबुल के पंखों पर बैठकर भारत आते थे सावरकर
कर्नाटक में हिंदुत्व विचारक वीडी सावरकर को लेकर एक और विवाद खड़ा हो गया है। इस बार विवाद का कारण बना है कक्षा 8 की कन्नड़ की किताब में सावरकर पर लिखा गया एक पाठ। इसमें सावरकर का महिमामंडन करते हुए लिखा गया है कि वह बुलबुल चिड़िया की पंखों पर बैठकर अंडबार-निकोबार की जेल से भारत भ्रमण के लिए आते थे। आलोचकों ने भाजपा सरकार पर पाठ्यक्रम बदलकर सावरकर का महिमामंडन करने का आरोप लगाया है।
किताब में क्या लिखा है?
किताब के जिस हिस्से पर विवाद हो रहा है, उसमें कालापीन की सजा के तहत अंडबान जेल में बिताए गए सावरकर के दिनों के बारे में लिखा है, "सावरकर को जेल में जिस कमरे में रखा गया था, उसमें रोशनी अंदर आने के लिए एक छोटा सा चाबी का छेद भी नहीं था। हालांकि उस कमरे में बुलबुल चिड़ियां कहीं से आ जाती थीं। सावरकर उनके पंखों पर बैठकर बाहर आते और हर दिन अपने देश का भ्रमण करते थे।"
कन्नड़ के प्रसिद्ध लेखक की किताब से लिया गया है हिस्सा
यह पाठ कक्षा 8 की कन्नड़ भाषा की किताब में है। विवादित हिस्सा कन्नड़ के प्रसिद्ध लेखक केटी गट्टी के एक यात्रा वृतांत से लिया गया है। वह 1911-1924 के बीच कई बार अंडबान की उस जेल में गए थे, जहां सावरकर को रखा गया था। यहां उन्होंने जेल में सावरकर के जीवन का अवलोकन किया और फिर 'कालवन्नु गेद्दावारू' (जो समय के खिलाफ जीते) नामक किताब में इसका जिक्र किया। ये पाठ वहीं से लिया गया है।
पहले किताब में नहीं था विवादित पाठ
पहले ये पाठ किताब में नहीं हुआ करता था और इसे हाल ही में पाठ्यक्रम में बदलाव के बाद किताब में जोड़ा गया है। रोहित चक्रतीर्थ के नेतृत्व वाली रिवीजन समिति ने 'ब्लड ग्रुप' नामक एक पुराने पाठ को हटाकर इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया।
चक्रतीर्थ ने दी सफाई, विवादित हिस्से को बताया अलंकार
चक्रतीर्थ ने बयान जारी करते हुए पाठ को शामिल किए जाने का बचाव किया है और इसे रूपक अलंकार बताया है जिसमें चीजों को असल मतलब कुछ और होता है। उन्होंने कहा, "मैं सोचता हूं कि क्या कुछ लोगों की बुद्धि इतनी कम हो चुकी है कि वो ये नहीं समझ सकते कि अलंकार क्या होते हैं।" हालांकि कई शिक्षकों और अभिभावकों ने कहा है कि किताब में इसे तथ्य की तरह लिखा गया है और ये अलंकार नहीं लगता।
कर्नाटक के शिक्षा मंत्री ने किया किताब को शामिल किए जाने का समर्थन
कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने भी सावरकर को एक महान स्वतंत्रता सेनानी बताते हुए पाठ को किताब में शामिल किए जाने का समर्थन किया है। उन्होंने कहा, "सावरकर एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। चाहें उनका कितना भी महिमामंडन क्यों न किया जाए, ये उनके बलिदान के लिए पर्याप्त नहीं होगा। लेखक ने पाठ में जो कहा है, वो सटीक है।" कर्नाटक टेक्स्ट बुक सोसाइट (KTBS) को मामले में कम से कम तीन मौखिक शिकायत भी मिल गई हैं।
कर्नाटक में स्वतंत्रता दिवस पर भी हुआ था सावरकर को लेकर विवाद
बता दें कि कर्नाटक में स्वतंत्रता दिवस के दिन भी सावरकर और टीपू सुल्तान के पोस्टर्स को लेकर विवाद हुआ था। दरअसल, हिंदुत्ववादी संगठनों के एक समूह ने शिवमोगा में अमीर अहमद सर्कल पर बिजली के एक खंभे पर वीर सावरकर का पोस्टर लगाने की कोशिश की थी, जिसका सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) के कार्यकर्ताओं ने विरोध किया जो वहां टीपू सुल्तान का पोस्टर लगाने की कोशिश कर रहे थे। हिंसा में एक शख्स घायल हुआ था।
कौन थे सावरकर?
वीर सावरकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की सबसे विवादित शख्सियतों में से एक हैं। क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने के लिए उन्हें कालापानी की सजा सुनाई गई थी और वे लगभग 10 साल अंडबार जेल में रहे थे। हालांकि माफीनामा लिखने के लिए उनकी आलोचना होती है। उन्हें हिंदुत्व की विचारधारा का जनक भी माना जाता है और कांग्रेस लगातार उनका विरोध करती रही है। वहीं हिदुत्व की विचारधारा पर चलने वाली भाजपा के लिए सावरकर वैचारिक गुरू की तरह हैं।