देश में तीन सालों में कम हुए 62,000 सरकारी स्कूल, निजी स्कूलों की संख्या बढ़ी
पिछले तीन सालों में देश में लगभग 62,000 सरकारी स्कूल कम हो गए हैं। इन्हें या तो दूसरे स्कूलों में मिला दिया गया है या बंद कर दिया गया है। इसी तरह सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल भी कम हुए हैं। दूसरी तरफ इस दौरान निजी स्कूलों की संख्या 15,000 बढ़ गई है। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफोर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन प्लस (UDISE+) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
देश में कुल स्कूलों की संख्या 15 लाख से अधिक
UDISE+ हर साल स्कूलों की संख्या, बच्चों के दाखिले, अध्यापकों की संख्या और छात्र-अध्यापक अनुपात आदि से जुड़ी जानकारी देता है। इसकी 2020-21 की रिपोर्ट से पता चलता है कि देश में सरकारी, निजी और अर्ध-सरकारी समेत 15 लाख से अधिक स्कूल हैं, जिनमें 26 करोड़ से अधिक छात्र पढ़ते हैं। कुल संख्या में से 10.32 लाख सरकारी स्कूल है और पिछले तीन सालों में इनकी संख्या 62,488 कम हुई है।
सबसे ज्यादा प्राथमिक स्कूल हुए बंद
पिछले तीन सालों में कम हुए सरकारी स्कूलों में सबसे ज्यादा संख्या प्राथमिक स्कूलों की है। जुलाई, 2019 में सरकार ने बताया था कि देश में लगभग 6.99 प्राथमिक स्कूल हैं, लेकिन अब यह संख्या घटकर 6.40 लाख हो चुकी है। महामारी के दौरान स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या भी बढ़ी है और नए दाखिलों में भी कमी हुई है। 2019-20 की तुलना में 2020-21 में पहली कक्षा में 18.8 लाख दाखिले कम हुए हैं।
उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा कम हुए प्राथमिक स्कूल
उत्तर प्रदेश में प्राथमिक स्कूलों की संख्या में सबसे ज्यादा कमी आई है। 2017-18 में राज्य में 1.14 लाख सरकारी प्राथमिक स्कूल थे, जो 2020-21 में घटकर लगभग 88,000 रह गए। बाकी राज्यों की बात करें तो झारखंड में करीब 3,000, ओडिशा में करीब 2,500 और महाराष्ट्र में लगभग 1,000 सरकारी प्राथमिक स्कूल कम हुए हैं। वहीं हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु ऐसे राज्य हैं, जहां प्राथमिक स्कूल बढ़े हैं।
बढ़ रही निजी स्कूलों की तादाद
एक तरफ जहां सरकारी स्कूल कम हो रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ निजी स्कूलों की संख्या बढ़ रही है। रिपोर्ट के अनुसार, 2018-19 में देश में 3.15 लाख निजी स्कूल थे, जो 2020-21 में बढ़कर 3.40 लाख से ज्यादा हो गए।
जानकार बता रहे निजीकरण की कोशिश
शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय जानकार सरकारी स्कूलों की कम होती संख्या को निजीकरण की कोशिश के रूप में देख रहे हैं। द लल्लनटॉप से बात करते हुए शिक्षा का अधिकार फोरम के मित्रा रंजन ने बताया कि बंद हुए सरकारी स्कूलों की असल संख्या कहीं अधिक हो सकती है। सरकार लंबे समय से क्लोजर और मर्जर के नाम पर सरकारी स्कूल बंद कर रही है। इसके जरिये सरकार की कोशिश शिक्षा को निजी हाथों में सौंपने की है।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
स्कूलों के बंद होने या दूसरे स्कूलों के साथ मिला दिया जाने का सीधा असर शिक्षा के अधिकार कानून पर पड़ता है। दरअसल, इस कानून के अनुसार, 6-14 साल के बच्चों को उनके पड़ोस के ही स्कूल में मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा दी जानी है। इसके लिए प्राथमिक स्कूल एक किलोमीटर और कक्षा छह से आठ के लिए तीन किलोमीटर के दायरे में स्कूल होने चाहिए। स्कूल बंद होने से यह दूरी बढ़ जाएगी और बच्चों को परेशानी होगी।