उत्तर प्रदेश सरकार ने आवारा पशुओं के लिए बनाई योजना, गोबर से बनाई जाएगी बायोगैस
उत्तर प्रदेश में लगतार दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने वाले योगी आदित्यनाथ ने राज्य में आवारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए बड़ी योजना तैयार की है। इसके तहत अगले 100 दिनों में 50,000 आवारा पशुओं को रखने के लिए गौशाला बनाई जाएगी और अगले छह महीनों में पशुओं की संख्या को एक लाख तक पहुंचाया जाएगा। इतना ही नहीं सरकार मवेशियों के गोबर से बायोगैस और CNG भी बनाएगी। सरकार जल्द ही इस योजना की शुरुआत करेगी।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
बता दें कि उत्तर प्रदेश में साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के सत्ता में आने और योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद सरकार ने राज्य में संचालित सभी अवैध बूचड़खाने (मवेशियों को मारने वाले स्थान) बंद करा दिए थे। उसके बाद राज्य में पशुओं के कटान में काफी कमी आई थी, लेकिन इससे आरावा पशु सड़कों और खेतों में देखे जाने लगे। किसानों ने भी आवारा पशुओं से फसलें बर्बाद होने की शिकायतें दर्ज कराई थी।
विधानसभा चुनाव में उठा था आवारा पशुओं का मुद्दा
बता दें कि उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान आरावा पशुओं की समस्या का बड़ा मुद्दा रहा था। उस दौरान आयोजित चुनावी रैलियों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि सरकार ने आवारा पशुओं की समस्याओं का समाधान खोज लिया है। 10 मार्च को नई सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में नई योजना लागू की जाएगी। जिससे आवारा पशुओं की समस्या से निजात मिल जाएगी और सरकार गोबर से भी आय अर्जित करेगी।
उत्तर प्रदेश सरकार ने आवारा पशुओं के लिए क्या बनाई है योजना?
प्रधानमंत्री मोदी के वादे के बाद आधिकारी आवारा पशुओं की समस्या के समाधान और उनके गोबर से आय अर्जित करने की योजना बनाने में जुट गए थे। इस इस योजना को अंतिम रूप दे दिया गया है। इस योजना के तहत 100 दिनों में 50,000 आवारा पशुओं के लिए गौशाला बनाई जाएंगी। अगले छह महीने में पशुओं की यह संख्या एक लाख तक पहुंचाई जाएगी। इसके अलावा पूरे राज्य में गौ अभ्यारण और 50 मेगा गौ शेल्टर्स भी बनाए जाएंगे।
जिला मजिस्ट्रेटों को सौंपी जाएगी आवारा पशुओं को पकड़ने की जिम्मेदारी
योजना के अनुसार, सरकार हर जिला मजिस्ट्रेटों को आवारा पशुओं को पकड़ने की जिम्मेदारी सौंपेगी। इसके तहत 15 अप्रैल से सभी जिला मजिस्ट्रेटों को प्रतिदिन कम से कम 10 आवारा गायों को उनके लिए बनाई गई गौशाला में पहुंचाना होगा।
"सरकार ने बनाई गाय के गोबर से बायोगैस बनाने की योजना"
योजना के संचालन से जुड़े अधिकारियों ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "यह योजना लंबे समय के लिए है न कि पिछली सरकारों की तरह सिर्फ थोड़े समय के लिए। सरकार का अगला लक्ष्य बायोगैस प्लांट स्थापित करना है, जिसमें गाय के गोबर का इस्तेमाल करके बायोगैस और CNG बनाई जाएगी।" उन्होंने कहा, "गोबर से बायोगैस और CNG बनाने का काम पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) के तहत होगा। गायों का गोबर सीधे किसानों से खरीदा जाएगा।"
योजना की शुरुआत में 200 विधानसभा क्षेत्रों में बनाई जाएगी गौशाला
अधिकारियों की माने तो योजना की शुरुआत में 200 विधानसभा क्षेत्रों में गौशालाएं बनाए जाएगी। प्रत्येक गौशाला की क्षमता 5,000 से अधिक गायों की रहेगी। गौशालाएं सरकारी खाली जमीन, बंजर जमीन या चारागाह पर विकसित की जाएंगी। उनके चारे के लिए 65,000 हेक्टेयर चारागाह भूमि की पहचान की जाएगी। उन्होंने बताया कि मनरेगा, पंचायतीराज, वन और पेयजल विभाग के सहयोग से गौशाला में पानी, चारदीवारी, शेड, उपचार आदि सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी।
खुद की संसाधनों से होगा गौशालाओं का संचालन
अधिकारियों ने बताया कि योजना से आमजन को भी जोड़ने का प्रयास रहेगा। कई बड़ी कंपनियां गोबर खरीद कर व्यावसायिक उपयोग कर रही हैं। सरकार इन गौशालाओं में होने वाले गोबर का व्यावसायिक उपयोग सुनिश्चित करेगी। ऐसे में इनका संचालन खुद के संसाधनों से होगा।
वन क्षेत्रों में बनाए जाएंगे गौ अभ्यारण- इंद्रमणि
पशुपालन विभाग के उपनिदेशक इंद्रमणि ने कहा कि सरकार ने गौ अभ्यारण के लिए सभी जिला कलक्टरों को अपने अधिकार क्षेत्र में जल निकायों के प्रावधान के साथ उपलब्ध वन क्षेत्रों की पहचान करने को कहा है। उन्होंने कहा कि इस योजना के लिए शहरी विकास और पंचायती राज विभागों को भी शामिल किया जाएगा। अधिक वन भूमि वाले क्षेत्र में गौ अभ्यारण बनाकर जल स्रोतों विकसित किए जाएंगे। इससे काफी फायदा होगा।
उत्तर प्रदेश में 11.84 लाख है आवारा पशुओं की संख्या
2019 में किए गए आवारा पशु सर्वेक्षण के अनुसार राज्य में इनकी संख्या करीब 11.84 लाख है। सरकार ने पिछले पांच सालों में लगभग 9.30 लाख आवारा पशुओं को आश्रय प्रदान किया है। हालांकि, इनमें से अधिकतर आश्रय अस्थायी हैं। 2018-19 में सरकार ने पहली बार मेगा गौशालाओं की घोषणा की थी। उस दौरान शुरुआत में 75 गौशालाएं बनाई गई थी जो अब 213 हो गई हैं। इस पर अब तक 1.20 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।