भारतीय उच्चायोग के बाहर खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनों की जांच के लिए लंदन जाएगी NIA- रिपोर्ट
क्या है खबर?
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) पिछले महीने भारतीय उच्चायोग के बाहर हुए खालिस्तान समर्थकों के प्रदर्शन और तोड़फोड़ की घटना की जांच करने के लिए लंदन जाएगी।
बतौर रिपोर्ट्स, NIA अपनी ब्रिटेन यात्रा के दौरान कुछ लोगों के बयान दर्ज करने के साथ-साथ भारतीय उच्चायोग के बाहर लगे CCTV कैमरों की फुटेज की जांच भी करेगी।
खालिस्तान समर्थकों ने 'वारिस पंजाब दे' प्रमुख अमृतपाल सिंह के खिलाफ कार्रवाई के विरोध में प्रदर्शन किया था।
जांच
गृह मंत्रालय ने पिछले सप्ताह NIA को सौंपी थी जांच
गृह मंत्रालय ने पिछले सप्ताह NIA को पूरे मामले की जांच करने की अनुमति दी थी। इस मामले में विदेशी ताकतों का हाथ होने की आशंका के बाद मंत्रालय की काउंटर टेररिज्म एंड काउंटर रेडिकलाइजेशन (CTCR) डिविजन ने जांच आतंकरोधी एजेंसी NIA को सौंपी थी।
गौरतलब है कि इससे पहले यह जांच दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल कर रही थी, जिसने गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत केस दर्ज किया था।
प्रदर्शन
आतंकी संगठन KLF के प्रमुख ने की थी प्रदर्शन की अगुवाई- रिपोर्ट
इस महीने की शुरुआत में एक रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें दावा किया गया था कि भारतीय उच्चायोग के बाहर प्रदर्शन की अगुवाई करने वाला अवतार सिंह खांडा असल में खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (KLF) का प्रमुख रणजोध सिंह है।
खांडा KLF का प्रमुख होने के अलावा 'वारिस पंजाब दे' संगठन का संस्थापक सदस्य भी है और पहले भी कई बार कट्टरपंथी गतिविधियों में शामिल रहा है। उसे अमृतपाल सिंह का गुरू माना जाता है।
घटना
प्रदर्शन के दौरान हुई थी तिरंगे को उतारने की कोशिश
खालिस्तान समर्थकों ने अमृतपाल और उसके संगठन के खिलाफ भारत में जारी कार्रवाई के विरोध में 19 मार्च को लंदन में भारतीय उच्चायोग के सामने नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया था। इस दौरान उच्चायोग की इमारत पर लगे तिरंगे को उतारने की कोशिश भी की गई थी।
इसके बाद भारतीय समुदाय के लोग खालिस्तानी समर्थकों का विरोध करने और तिरंगे के समर्थन में उच्चायोग के बाहर जमा हुए थे। उन्होंने 'जय हो' गीत पर नाच-गाना भी किया था।
सरेंडर
अमृतपाल सिंह ने कल किया था पंजाब पुलिस के सामने सरेंडर
अमृतपाल सिंह ने रविवार सुबह मोगा में पंजाब पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया। उसे इसे बाद एक विशेष विमान के जरिए असम की डिब्रूगढ़ जेल ले जाया गया था।
पंजाब पुलिस ने दावा किया था कि अमृतपाल की तलाश में इलाके की घेराबंदी की गई थी और कोई विकल्प नहीं बचने पर वह गुरुद्वारे से बाहर आया, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।