आतंकी संगठन को सूचनाएं लीक करने के आरोप में गिरफ्तार हुआ IPS अधिकारी कौन है?
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने शुक्रवार को भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी अरविंद दिग्विजय नेगी को गिरफ्तार किया है। उन पर NIA में रहते हुए आतंकी संगठन को गुप्त सूचनाएं लीक करने का आरोप है। यह पहली बार है, जब एजेंसी ने किसी IPS अधिकारी को गिरफ्तार किया है और अब उनसे 2017 में मिला पुलिस मेडल भी छीना जा सकता है। पिछले साल 6 नवंबर को दर्ज एक मामले में उनकी गिरफ्तारी हुई है।
अब तक हो चुकी हैं सात गिरफ्तारियां
NIA ने बताया कि देश में आतंकी गतिविधियों की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने के लिए लश्कर-ए-तैयबा के ओवर ग्राउंड वर्कर (OGW) के नेटवर्क के खिलाफ चल रही जांच में नेगी को गिरफ्तार किया गया है। यह इस मामले में सातवीं गिरफ्तारी है।
नेगी के आवास पर हुई थी छापेमारी
एजेंसी ने बताया कि पूछताछ के दौरान मिली जानकारी के आधार पर नेगी के आवास पर छापेमारी की गई। इसमें पता चला कि नेगी ने कुछ खुफिया दस्तावेज कथित तौर पर लश्कर से जुड़े खुर्रम परवेज को दिए थे। TOI के अनुसार, खुर्रम को पिछले साल इसी दौरान आतंकी संगठन को वित्तीय मदद मुहैया कराने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। रोचक बात यह है कि नेगी उस टीम में शामिल थे, जिसने खुर्रम के घर छापेमारी की थी।
दो बार हो चुकी थी नेगी से पूछताछ
रिपोर्ट के अनुसार, नेगी ने NIA से जुड़ी कुछ जानकारियों खुर्रम को दी थी, जिसे आगे लश्कर तक पहुंचाया गया। नेगी के फोन और ईमेल की फॉरेंसिक जांच के बाद NIA ने उनसे पूछताछ की थी। बताया जा रहा है कि उन पर पिछले काफी समय से नजर रखी जा रही थी और उनसे दो बार पूछताछ हो चुकी है। हालांकि, एजेंसी ने अभी तक नेगी के खिलाफ लगाए गए सारे आरोपों की जानकारी साझा नहीं की है।
लंबे समय से एजेंसियों के राडार पर थे नेगी
न्यूज18 ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि एक वरिष्ठ IPS अधिकारी ने नेगी की लश्कर से जुड़े लोगों के साथ कथित तौर पर सांठगांठ होने की जानकारी दी थी। इसके बाद खुफिया एजेंसियों को उनके पीछे लगाया गया था। कश्मीर में नेताओं के घरों की छापेमारी के बाद से वो लगातार जांच एजेंसियों के राडार पर थे। नेगी उस टीम का हिस्सा थे, जिसने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता वाहिद पारा के घर पर छापा मारा था।
नेगी ने की थी इन मामलों की जांच
नेगी 2011 बैच के हिमाचल प्रदेश कैडर के IPS अधिकारी हैं। NIA मुख्यालय में कार्यकाल के बाद वो वापस अपने कैडर में लौट गए और शिमला के पुलिस अधीक्षक पद पर तैनात थे। राष्ट्रीय जांच एजेंसी में रहते हुए उन्होंने कश्मीर के हुर्रियत नेताओं, नकली मुद्रा, इस्लामिक स्टेट (IS) में भर्ती से जुड़े कई मामलों की जांच की थी। उन्होंने हिमाचल के MBBS एडमिशन घोटाले की भी जांच की थी। उन्हें एजेंसी का काबिल अधिकारी माना जाता था।