'प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश' मामले में NIA ने PFI के 25 ठिकानों पर मारे छापे
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रचने के आरोप में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर फिर कार्रवाई की है। NIA ने 3 राज्यों में PFI से जुड़े 25 ठिकानों पर एक साथ छापा मारा है।
बिहार, केरल और कर्नाटक में PFI कार्यकर्ताओं पर इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया।
बता दें कि जुलाई, 2022 में पटना के फुलवारी शरीफ में प्रधानमंत्री की रैली में हमले की प्लानिंग करते कुछ लोग पकड़े गए थे।
राज्य
कहां-कहां मारे गए छापे?
NIA की टीम ने बिहार में कटिहार के हसनगंज थाना क्षेत्र के मुजफ्फर टोला इलाके में छापा मारा। खबर है कि यहां नासिर हुसैन के घर पर दस्तावेजों की जांच की गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, टीम मोहम्मद जावेद नाम के शख्स को पूछताछ के लिए अपने साथ ले गई है। हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में PFI कार्यकर्ताओं से जुड़े 16 ठिकानों पर NIA ने छापेमारी की है।
गिरफ्तारी
6 लोग पहले ही हो चुके हैं गिरफ्तार
इस मामले में NIA पहले ही 6 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। इन लोगों के पास से एजेंसी को PFI से संबंधित कई आपत्तिजनक लेख और दस्तावेज मिले थे।
इसी साल फरवरी में NIA ने बिहार के मोतिहारी में 8 स्थानों पर तलाशी ली थी और 2 लोगों को गिरफ्तार किया था। आरोप था कि इन्होंने हत्या को अंजाम देने के लिए हथियार और गोला-बारूद की व्यवस्था की थी।
मामला
क्या है पूरा मामला?
पिछले साल जुलाई में प्रधानमंत्री के बिहार दौरे के दौरान पटना पुलिस ने फुलवारी शरीफ से 3 आतंकियों को गिरफ्तार किया था। आरोप था कि ये प्रधानमंत्री की रैली पर हमले की साजिश रच रहे थे।
उनके पास से '2047' लिखा हुआ एक दस्तावेज भी बरामद हुआ था, जिसमें भारत विरोधी गतिविधियों का उल्लेख था।
इस मामले में 2 FIR भी दर्ज की गई थीं। शुरुआती जांच के बाद बिहार पुलिस ने मामला NIA को सौंप दिया था।
PFI
क्या है पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया?
PFI एक चरमपंथी इस्लामिक संगठन है, जो खुद को पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने वाला संगठन बताता है। यह पहली बार 22 नवंबर, 2006 को केरल में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF) के नाम से अस्तित्व में आया था।
संगठन ने दिल्ली के रामलीला मैदान में नेशनल पॉलिटिकल कांफ्रेंस आयोजित कर सुर्खियां भी बटोरी थीं।
देशभर में हुईं कई सांप्रदायिक हिंसाओं में नाम सामने आने के बाद पिछले साल PFI पर 5 साल का प्रतिबंध लगाया गया था।