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PFI पर लगा 5 साल का प्रतिबंध, इसका मतलब क्या है?
PFI पर लगे प्रतिबंध का मतलब क्या है?

PFI पर लगा 5 साल का प्रतिबंध, इसका मतलब क्या है?

Sep 28, 2022
10:52 am

क्या है खबर?

केंद्र सरकार ने मंगलवार को बड़ा कदम उठाते हुए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और उससे जुड़े अन्य संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। केंद्र ने कहा है कि PFI के आतंकी संगठनों के साथ संबंध पाए गए हैं और वह सामाजिक, शैक्षिक और राजनीतिक संगठन की आड़ में समाज के एक वर्ग विशेष को कट्टरपंथी बनाने का गुप्त एजेंडा चला रहा है। आइये जानने की कोशिश करते हैं कि PFI पर लगे इस प्रतिबंध का मतलब क्या हुआ।

प्रतिबंध का असर

फंडिंग और दूसरी गतिविधियों पर लगेगी रोक

PFI पर प्रतिबंध के बाद संगठन की फंडिंग, भर्ती और दूसरी गतिविधियों पर रोक लग जाएगी। अगर कोई व्यक्ति इसमें संलिप्त पाया जाता है तो उसके खिलाफ देश के किसी भी कोने में आतंकवाद का मामला दर्ज किया जा सकता है। अब PFI और इसके पदाधिकारी किसी भी तरह का प्रदर्शन, सेमिनार और कॉन्फ्रेंस आदि आयोजित नहीं कर पाएंगे। साथ ही उनके किसी भी तरह के प्रकाशन पर भी रोक रहेगी और पुलिस इसे अवैध घोषित कर सकती है।

जानकारी

आगे चलकर हो सकती है और कार्रवाई

आने वाले दिनों में PFI की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं। जांच एजेंसियों इस संगठन से जुड़े बैंक अकाउंट, संपत्ति और कार्यालयों को जब्त कर सकती हैं। साथ ही संगठन के पदाधिकारियों की यात्रा पर भी पाबंदिया लग सकती हैं।

अधिसूचना

SIMI से जुड़े रहे हैं PFI के नेता- सरकार

गृह मंत्रालय की तरफ से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि PFI के शीर्ष नेतृत्व में शामिल अधिकतर नेता पहले प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) से जुड़े हुए थे। इसमें यह भी कहा गया है कि PFI के जमात-उल-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश (JMB) और इस्लामिक स्टेट (IS) से संबंध पाए गए हैं। JMB को 2019 में प्रतिबंधित किया गया था। उससे पहले पश्चिम बंगाल, असम, झारखंड, कर्नाटक और दूसरे राज्यों में इसकी उपस्थिति दर्ज की गई थी।

जानकारी

कितना बड़ा है PFI का कैडर?

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 2017 में PFI का एक डॉजियर तैयार किया था। इसमें कहा गया था कि PFI के 50,000 नियमित सदस्य हैं और केरल में करीब 1-1.5 लाख ऐसे लोग हैं, जो इस संगठन से सहानूभूति रखते हैं और हर साल इनकी संख्या बढ़ रही है। हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, NIA के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि PFI के पैर करीब 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैले हुए हैं।

कार्रवाई

PFI के ठिकानों पर हुई थी बड़ी छापेमारी

बीते एक हफ्ते में अलग-अलग राज्यों में PFI से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की गई थी। पिछले गुरुवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर 10 से अधिक राज्यों में PFI के ठिकानों पर छापेमारी कर 100 नेताओं और पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया था। इसके बाद मंगलवार को भी आठ राज्यों में पुलिस ने छापेमारी कर PFI के करीब 200 नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया था।

PFI

न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)

PFI एक चरमपंथी इस्लामिक संगठन है जो खुद को पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के हक में आवाज उठाने वाला संगठन बताता है। यह पहली बार 22 नवंबर, 2006 को केरल में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF) के नाम से अस्तित्व में आया था। तब उसने संगठन ने दिल्ली के रामलीला मैदान में नेशनल पॉलिटिकल कांफ्रेंस आयोजित कर सुर्खियां भी बटोरी थीं। कई सांप्रदायिक हिंसाओं में PFI का नाम आ चुका है और यह लंबे समय से सुरक्षा एजेंसियों की राडार पर था।