बिलकिस बानो गैंगरेप केस: दोषियों की रिहाई पर सोमवार को चर्चा करेगा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
बिलकिस बानो गैंगरेप केस के 11 दोषियों की रिहाई देशभर में चर्चा का विषय बनी हुई है। सोमवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) इस मुद्दे पर चर्चा करेगा। 2003 में NHRC के हस्तक्षेप के बाद ही बिलकिस बानो को अपना मामला सुप्रीम कोर्ट ले जाने के लिए कानूनी सहायता मिली थी। गुजरात पुलिस ने इस मामले को बंद कर दिया था। NHRC ने सुप्रीम कोर्ट में बिलकिस की दलील के लिए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे को नियुक्त किया था।
क्या है दोषियों की रिहाई का मामला?
2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया गया था। उस वक्त बिलकिस पांच महीने की गर्भवती थीं। दंगाइयों ने उनकी तीन वर्षीय बेटी समेत परिवार के सात लोगों को मौत की नींद सुला दिया था। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इस मामले में उम्रकैद की सजा पाए 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने माफी नीति के तहत रिहा कर दिया। सरकार के इस कदम की कई तबकों में आलोचना हो रही है।
NHRC इस मामले में क्या कर सकता है?
NHRC के पास मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों का स्वत: संज्ञान लेने या शिकायतों की जांच करने की शक्ति है। अगर आयोग को जरूरत लगती है तो यह राज्य सरकार से रिपोर्ट मांग सकता है और पीड़ित के लिए आर्थिक मदद के साथ-साथ कानूनी मदद का प्रावधान भी करता है ताकि सरकार के फैसले को अदालत में चुनौती दी जा सके। बिलकिस बानो के ही मामले में ही यह देखा जा चुका है।
आयोग के अधिकतर सदस्यों ने नहीं दी प्रतिक्रिया
NHRC प्रमुख जस्टिस अरुण मिश्रा के कार्यालय ने दोषियों की रिहाई के मुद्दे पर चर्चा होने की पुष्टि की है। हालांकि, इंडियन एक्सप्रेस ने जब आयोग के सदस्यों से इस पर प्रतिक्रिया मांगनी चाहिए तो अधिकतर ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। वहीं कुछ ने मामले से अनभिज्ञता जताई। बता दें कि चेयरमैन के अलावा आयोग में 10 सदस्य होते हैं। इनमें तीन आयोग के सदस्य, छह पदेन और एक विशेष आमंत्रित सदस्य होता है।
क्या है बिलकिस बानो गैंगरेप केस?
गोधरा में कारसेवकों से भरी ट्रेन की बोगी में आग लगने के बाद हुए गुजरात दंगों के दौरान 3 मार्च, 2002 को दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव में बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया गया था। उस वक्त बिलकिस 21 साल की थीं और पांच महीने की गर्भवती थीं। दंगाइयों ने बिलकिस के परिवार के सात सदस्यों की हत्या भी कर दी थी। इनमें बिलकिस की तीन वर्षीय बेटी भी शामिल थी।
बिलकिस की सरकार से फैसला वापस लेने की मांग
दोषियों की रिहाई पर प्रतिक्रिया देते हुए बिलकिस बानो ने कहा था कि इन दोषियों की रिहाई ने उनसे शांति छीन ली है और न्याय पर उनके विश्वास को हिला दिया है। अपने बयान में उन्होंने कहा, "इतना बड़ा और अन्यायपूर्ण फैसले लेने से पहले किसी ने मेरी सुरक्षा की चिंता नहीं की। मेरी गुजरात सरकार से विनती है कि वह इस फैसले को पलट दे। मुझे डर के बिना और शांति के साथ जीने का अधिकार वापस दें।"